नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह केरल के सबरीमाला मंदिर में हर आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले उसके फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर अब सुनवाई 13 नवंबर को करेगा। वहीं केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, मुझे प्रार्थना करने का अधिकार है, लेकिन अपवित्र करने का कोई अधिकार नहीं है। हालांकि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं कैबिनेट मिनिस्टर हूं।
केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि क्या आप मासिक धर्म के दौरान रक्त से सना सैनिटरी नैपकिन लेकर अपनी दोस्त के घर जाएंगी? नहीं ना तो क्या ये सही होगा कि आप उसे भगवान के घर ले जाएं? उन्होंने कहा, ”क्या आपको लगता है कि भगवान के घर ऐसे जाना सम्मानजनक है? यही फर्क है। मुझे पूजा करने का अधिकार है लेकिन अपवित्र करने का अधिकार नहीं है। यही फर्क है कि हमें इसे पहचानने तथा सम्मान करने की जरुरत है। स्मृति यहां ब्रिटिश हाई कमीशन और आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित “यंग थिंकर्स” कान्फ्रेंस में बोल रही थी।
उन्होंने कहा, ”मैं हिंदू धर्म को मानती हूं और मैंने एक पारसी व्यक्ति से शादी की। मैंने यह सुनिश्चित किया कि मेरे दोनों बच्चे पारसी धर्म को माने, जो आतिश बेहराम जा सकते हैं। आतिश बेहराम पारसियों का प्रार्थना स्थल होता है। ईरानी ने याद किया जब उनके बच्चे आतिश बेहराम के अंदर जाते थे तो उन्हें सड़क पर या कार में बैठना पड़ता था। उन्होंने कहा, ”जब मैं अपने नवजात बेटे को आतिश बेहराम लेकर गई तो मैंने उसे मंदिर के द्वार पर अपने पति को सौंप दिया और बाहर इंतजार किया क्योंकि मुझे दूर रहने और वहां खड़े ना रहने के लिए कहा गया।
आपको बता दें कि नेदुम्परा राष्ट्रीय अयप्पा श्रद्धालु संगठन की ओर से दाखिल याचिका पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया गया था जिस पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर तक टाल दी है। पांच सदस्यों वाली संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था कि सबरीमला मंदिर में हर आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी जाए।
बीते 9 अक्तूबर को न्यायालय ने वकील की याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया था। पीठ ने कहा था कि दशहरा के अवकाश के बाद ही पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई हो सकती है और यह सुनवाई खुली अदालत में न होकर कक्ष में होगी।
राष्ट्रीय अयप्पा श्रद्धालु संगठन के अलावा नायर सेवा समाज (एनएसएस) ने भी याचिका दायर कर शीर्ष अदालत के 28 सितंबर के फैसले पर फिर से विचार की मांग की है।
मुझे प्रार्थना करने का अधिकार लेकिन अपवित्र करने का नहीं : स्मृति ईरानी
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