नई दिल्ली:देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआइ में झगड़ा खुलकर सामने आ गया है। घूसकांड मामले में गिरफ्तार सीबीआई के उप अधीक्षक देवेंद्र कुमार के बाद अब विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने दिल्ली हाईकोर्ट से गुहार लगाई है। अस्थाना ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सीबीआई की एफआईआर को रद करने की मांग की है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआइ के वकील ने कहा है कि आरोपी के खिलाफ गंभीर मामले हैं। साथ ही भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत ये मामला आपराधिक षडयंत्र का है।
सीबीआइ का पक्ष रखते हुए वकील ने कहा कि अस्थाना के खिलाफ धोखाधड़ी का भी मामला जोड़ा गया है। दिल्ली हाइकोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई 29 अक्टूबर तय की है। हाइकोर्ट ने यह भी कहा कि तब तक राकेश अस्थाना पर किसी भी प्रकार की कोई भी कार्रवाई न की जाए। अपने आदेश में कोर्ट ने अस्थाना का मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य इल्केट्रॉनिक दस्तावेज सुरक्षित रखने को कहा। इससे पहले अस्थाना ने कोर्ट से अपने खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई ना करने का निर्देश दिए जाने की भी मांग की है।
दूसरी तरफ गिरफ्तार किए गए डीएसपी देवेंद्र कुमार को 7 दिन की सीबीआइ कस्टडी में भेजा दिया गया है। गौरतलब है कि सोमवार को सीबीआई ने अपने ही दफ्तर में छापेमारी कर देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया था। इस गिरफ्तारी के खिलाफ देवेंद्र ने हाईकोर्ट में अपनी अर्जी दी है। सीबीआइ के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया था कि विशेष निदेशक राकेश अस्थाना, एजेंसी के अधिकारी देवेंद्र कुमार, रिश्वत देने में भूमिका निभाने वाले मनोज प्रसाद और उसके भाई सोमेश के खिलाफ 15 अक्टूबर को मामला दर्ज किया गया है।
मामले में खुफिया संगठन रॉ के विशेष निदेशक सामंत कुमार गोयल का नाम भी दर्ज किया गया है, लेकिन उन्हें अभियुक्त नहीं बनाया गया है। सीबीआई ने अस्थाना और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से घूस लेने के आरोप में रविवार को एफआईआर दर्ज की थी। बतादें कि कुरैशी धनशोधन और भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहा है। सीबीआई का आरोप है कि दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत दी गई।
शनिवार को इस सिलसिले में देवेंद्र के दिल्ली स्थित आवास पर छापेमारी भी की गई। ये मुकदमे सतीश साना की शिकायत के आधार पर दर्ज किए गए हैं। साना मांस कारोबारी मोईन कुरैशी से संबंधित मामले में जांच का सामना कर रहा है।
कोर्ट से अस्थाना को फौरी राहत, अगली सुनवाई तक कोई कार्रवाई नहीं
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