नई दिल्ली:स्वतंत्र भारत के इतिहास में सेना के स्वरूप को बदलने की बड़े स्तर पर चल रही तैयारियों के बीच सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में बताया कि क्यों ये उनके पहली प्राथमिकताओं में शामिल हैं। जनरल रावत ने कहा- “यह बात बिल्कुल साफ है कि हम पिछली बार तक की तरह अगली लड़ाई नहीं लड़ सकते हैं।”
बदल जाएगा सेना का कलेवर
रावत ने बताया कि इतने बड़े स्तर पर चल रही यह कवायद सेना के शीर्ष जनरलों की तरफ से किए गए गए चार विस्तृत अध्ययन पर आधारित है। जो 12 लाख सेना के जवानों के चेहरे और और उसकी दिशा को बदलकर रख देगी। साथ ही, उसे भविष्य की लड़ाई के लिए खतरनाक मारक मशीनों से लैस कर देगी।
क्या है एजेंडे में?
सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने बताया कि चारों स्टडीज को लागू करने से करीब एक लाख जवानों की कटौती हो पाएगी। जिसके बाद युद्ध में तकनीकी तौर पर बेहतर करने, सेना मुख्यालय के आकार में कमी करने और इसे करियर के हिसाब से बेहतर करने में मदद मिलेगी।
सेना के पुनर्गठन के अभियान को लेकर पहली बार जनरल रावत ने खुले तौर पर बोलते हुए कहा- “हमें बदलना होगा क्योंकि लड़ाई के तरीके बदल रहे हैं। नए स्ट्रक्चर में आधुनिक तकनीक को ज्यादा से ज्यादा शामिल करना होगा। यही आगे बढ़ने का रास्ता है। यह बदलाव और सुधार रातोंरात नहीं होगा लेकिन यह होगा।”
पिछली बार की तरह नहीं लड़ सकते अगली लड़ाई : सेनाध्यक्ष
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