बोमडीला:भारत-चीन युद्ध के 56 साल बाद अरुणाचल प्रदेश के ग्रामीणों को उनकी जमीन के मुआवजे के तौर पर करीब 38 करोड़ रुपये मिले हैं। दरअसल, वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद सेना ने अपना बेस, बंकर, बैरक बनाने और सड़क, पुल तथा अन्य निर्माण कार्यों के लिए काफी मात्रा में जमीन का अधिग्रहण किया था।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने शुक्रवार को पश्चिमी खेमांग जिले में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में ग्रामीणों को मुआवजे की राशि के चैक सौंपे। रिजिजू ने बताया कि ग्रामीणों को कुल 37.73 करोड़ रुपये दिए गए हैं। यह सामुदायिक भूमि थी, इसलिए उन्हें जो रकम मिली है उसे ग्रामीणों के बीच बांटा जाएगा।
पश्चिमी खेमांग जिले में अप्रैल, 2017 में तीन गांवों के 152 परिवारों को 54 करोड़ रुपये बांटे गए थे। गत वर्ष सितंबर में ग्रामीणों को 158 करोड़ रुपये की एक अन्य किश्त दी गई। फरवरी, 2018 में त्वांग जिले में 31 परिवारों को 40.80 करोड़ रुपये दिए गए। यह राशि उनकी निजी जमीन के एवज में दी गई थी। उनकी जमीन का अधिग्रहण सेना ने किया था। अरुणाचल प्रदेश में भूमि अधिग्रहण के लंबित मामले तवांग, पश्चिमी खेमांग, ऊपरी सुबनसिरी, दिबांग घाटी और पश्चिमी सियांग जिलों के थे।
भारत-चीन युद्ध के 56 साल बाद मिला मुआवजा
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