सुबह के 7 बजे… घंटी बजी
मनी (मम्मी से) एक सेकंड आयी … अमित आ गये?
मनी – हाय, कैसा रहा जिम ?
अमित – जिम तो अच्छा ही रहता है, तुम भी हिल लिया करो। बस दिन भर खाली बैठना।
मनी – हां.. हां… हां, मम्मी पापा को योग करा रही थी, जैसे तुमने कहा था।
अमित – मैं तो ठीक ही बोलता हूं, जय जिनेंद्र मम्मी-पापा
मम्मी – खुश रहो।
अमित – बस आपका आशीर्वाद रहे !
मम्मी – सदा है।
अमित – मनी ठीक से योग करा रही है या बस टाइम पास?
मम्मी – अच्छे से कराती है बेटा।
अमित – शुक्र है, कुछ तो करती है। वरना किसी चीज़ में मन ही कहां लगता है। खाने के बारे में तो मत ही पूछिए। पापाजी कुछ नहीं कह रहे ?
मम्मी – इनका आज मौन व्रत है।
अमित – वाह, मम्मी मैं फ्रेश हो जाता हूं फिर ऑफिस भी जाना है, सब को पालना भी तो है।
मम्मी – ठीक है…. दिन शुभ हो।
अमित – (मनी से) तुम वीडियो गेम खेलो, लगता है नाश्ता आज भी नहीं मिलेगा।
मनी – आप रेडी होके आइये मैं गरमा – गरम ब्रेकफास्ट लगाती हूं।
अमित – गरमा – गरम ऐसे कहती हो जैसे कुछ ढंग का बनाती हो। वही परांठा, पोहा या उपमा.. चलो आया रेडी हो के।
मनी – जी
मम्मी – (मनी से) तुम काम कर लो।
मनी – इग्नोर करिये हम योगा करते हैं।
मम्मी – नहीं सुबह-सुबह कोई वीडियो कालिंग करता है…. अक्ल है कि नहीं?
मनी – मम्मी आप रिलैक्स रहिये। अमित यूँही बोलते हैं।
मम्मी – मुझ से बेवकूफों वाली बात ना करो, इतना अच्छा लड़का मिल गया है तो दिमाग खराब हो गया है।
मनी – पापा मम्मी को शांत कराइए।
मम्मी – बाय, बाद में कॉल करके समझाती हूं बाय।
मनी – मम्मी ……
20 मिनट बाद
अमित – वीडियो कालिंग हो गयी हो तो घर काम कुछ कर लो।
मनी – क्या प्रॉब्लम है?
अमित – सुबह – सुबह लड़ रही हो, बस घर का माहौल खराब रखना।
मनी – यू स्टार्टेड, मम्मी पापा के आगे तमाशा करने की क्या ज़रूरत थी?
अमित – क्या तमाशा ? बात ही तो की, आईन्दा नहीं करूंगा।
मनी – करो पर हर समय कंप्लेन!
अमित – अरे गलत क्या कहा? तुम करती ही क्या हो? मैं मेहनत करता हूं। सॉक्स लाके दो…… बस आलसी से लड़वा लो।
दोपहर 3 बजे
(मम्मी कॉल टू मनी)
मम्मी – हेलो, आवाज़ आ रही है?
मनी – जी हां।
मम्मी – क्या कर रही थी?
मनी – कुछ नहीं खाना खा रही थी।
मम्मी – इतनी लेट क्या करती रहती हो?
मनी – प्लीज आप तो मत पूछिए कि घर में क्या काम होता है। सुबह 6 से रात 11:30 तक एक सेकंड ख़ाली नहीं रहती हूं।
मम्मी – ठीक है वो तो तेरा काम है।
मनी – फिर क्यों पूछा जाता है क्या करा ? 17-18 घंटे काम करो और फिर सुनो करती क्या हो?
मम्मी – बेकार की बात न कर, घर का काम तो करोगी ही?
मनी – मैंने कब मना करा, बस यही कह रही हूं – मुझे बातें मत सुनाओ।
मम्मी – आज कल कुछ बात कर लो तो बातें सुनाना हो जाता है, अजीब है बस झूठी तारीफें करते रहो।
मनी – तारीफ मत करिये पर…
मम्मी – बस बहस करवा लो अमित से भी ऐसे ही लड़ती होगी।
मनी – कोई नहीं लड़ती हूं, वो ही सुनाते रहते हैं कि मैं कमाता हूं, मैं घर चला रहा हूं।
मम्मी – क्या गलत कह रहा है?
मनी – घर का सारा काम अपने आप हो जाता है? घर संभाला है इसलिए ऑफिस चल पा रहा है।
मम्मी – वो तो तुम्हारा काम है।
मनी – राइट। वैसे ही अमित का काम बाहर का है।
मम्मी – पर घर में काम है ही क्या ?
मनी – ओके गिव अप, कुछ नहीं करती हूं।
मम्मी – वही तो समझाना चाहती हूं, कुछ काम किया करो ।
मनी – ओके
मम्मी – सुन 27-28 को नमकीन बना लेना, 29 को होली है सुबह जल्दी उठना और गुजिया बना लेना। अमित उठे उससे पहले, फिर ढंग का नाश्ता बना लेना … फिर होली खेलना। पर जल्दी आ जाना। अमित आये उससे पहले और घर साफ कर लेना। होली है गंदा दिखेगा तो अमित को अच्छा नहीं लगेगा। फिर बढिय़ा सा खाना बना लेना, होली है। ये नहीं एक सब्ज़ी बस बना ली। अरे होली पर तो कामवाली नहीं आएगी, ठीक है एक दिन तुम बर्तन धो लेना रसोई गन्दी मत छोडना। साफ करके आराम करो, फिर अच्छा शाम का नाश्ता अमित को भी तो लगे कि उसकी होली है। मज़े से शाम एन्जॉय करो फिर डिनर बना लेना , खुश हो जायेगा त्यौहार है उसका।
मनी – मम्मी मेरा भी त्यौहार है ना ?
पीछे खड़े पिता बाते सुन कर सदा के लिए मौन हो गये।
आदित्य तिक्कू।।