अमृतसर:पंजाब के अमृतसर में शुक्रवार की शाम एक भीषण हादसा (Amritsar Train Accident) हो गया। रावण दहन देख रहे लोग तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आ गए, जिससे कम से कम 61 लोगों की मौत हो गई और 72 अन्य घायल हो गए। घायलों में कई की हालत गंभीर है। इस घटना से स्थानीय लोगों में आक्रोश है और त्योहार के दिन देशभर में लोग गमगीन हैं।
इस हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पुतला दहन कार्यक्रम शाम छह बजे निर्धारित किया गया था लेकिन समारोह की मुख्यातिथि और राज्य के स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू देर से वहां पहुंची और इस वजह से पुतला दहन कार्यक्रम में देरी हुई। प्रत्यक्ष दर्शियों का कहना है कि अगर श्रीमती कौर समय से समारोह में पहुंच जाती तो पुतला दहन कार्यक्रम समय से सम्पन्न हो जाता और यह हादसा होने से बच जाता। उनका कहना है कि लोग बदहवास और रोते बिलखते हुये घटनास्थल पर पड़े चीथड़ों के बीच अपनों को पहचानने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ को उनके परिजनों का कुछ पता नहीं चल पा रहा है।
ट्रेन गुजरने के बाद इधर-उधर भागे
एक चश्मदीद ने इस हादसे के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि और जो भी इसके लिए जिम्मेदार हैं उन पर कार्रवाई हो। अन्य लोगों ने बताया कि वहां भगदड़ जैसी कोई बात नहीं थी। रावण के जलने के दौरान ट्रेन वहां से गुजरी, उसके बाद लोग इधर-उधर भागे। ट्रेन की रफ्तार भी काफी तेज थी। एक व्यक्ति ने बताया कि जब ट्रेन लोगों के बिल्कुल करीब पहुंच गई, तब ट्रेन के ड्राइवर ने हॉर्न बजाया। अगर वह काफी पहले से गति धीमी कर हॉर्न बजाता तो हादसा इतना भयावह नहीं होता।
किसी का हाथ तो किसी का सिर गायब
घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने कहा कि पटरियों पर शव इस तरह बिखरे हैं, जैसे पता नहीं क्या हो गया हो। वहां के मंजर ने 1947 के विभाजन की याद दिला थी। तब भी पटरियों के आसपास ऐसे दृश्य थे। लोगों ने बताया कि कई शवों की स्थिति बहुत खराब है। किसी का हाथ गायब है तो किसी का सिर। कई शव ऐसे हैं जिसमें गर्दन कहीं ओर है, सीने और पेट हिस्सा कहीं ओर। किसी के कमर के नीचे का हिस्सा कटकर दूर उछल गया। ऐसे शव भी हैं, जिन्हें पहचान पाना मुश्किल है। घटनास्थल पर मौजूद कई लोग शवों की हालत देखकर बेसुध हो गए।
ज्यादा धुएं में किसी को ट्रेन के आभास नहीं हुआ
एक प्रत्यक्षदर्शी मिन्टू ने बताया कि रावण दहन के दौरान हुई आतिशबाजी से काफी धुआं हो गया था। किसी का ध्यान ट्रेन की तरफ नहीं गया। घटनास्थल के समीप रहने वाले व्यवसायी पदम सिंह ढिंगरा ने बताया कि आमतौर पर वहां समय पर रावण दहन हो जाता है, लेकिन इस बार देर हो गई थी क्योंकि मुख्य अतिथि नवजोत कौर वहां देरी से पहुंचीं। रावण जल रहा था और पटाखों की आवाज भी तेज थी, तभी तेज रफ्तार ट्रेन वहां आ गई। कई परिवार उसकी चपेट में आ गए, ज्यादातर लोग अन्य राज्यों से आए मजदूर थे। अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि रावण दहन वाली जगह और रेलवे ट्रैक के आसपास कोई बैरिकेडिंग नहीं थी। इस कारण लोग पटरियों पर पहुंच गए थे। पिछले वर्ष इस जगह पर रावण दहन कार्यक्रम नहीं किया गया था, क्योंकि वह जगह बहुत घनी (कन्जेस्टेड) है।
चश्मदीद ने यह भी दावा है कि जब यह हादसा हुआ तो श्रीमती कौर वहीं मौजूद थीं। लेकिन लोगों के कोपभाजन के डर से वह अपनी कार में बैठ कर आनन-फानन में वहां से रफूचक्कर हो गईं। उधर श्रीमती कौर ने मीडिया को दिये बयान में कहा कि वह मौके से भागी नहीं। हादसा उनके जाने के 15 मिनट के बाद हुआ और उन्हें इसकी सूचना फोन पर मिली और तत्काल हताहतों को देखने अस्पताल पहुंची। उन्होंने कहा कि ऐसे हादसे पर राजनीति करना बेहद शर्मनाक है और कहा कि यह समारोह यहां पहली बार नहीं बल्कि हर वर्ष मनाया जाता है।
घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे लेकिन उन्हें वहां लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ा। बिखरे मानव अंगों से प्रशासनिक अधिकारी इस हादसे में मारे गये लोगों की सही संख्या भी बताने से हिचकिचाते नजर आए। सरकार के कैबिनेट मंत्री ओ.पी. सोनी और भारतीय जनता पाटीर् के प्रदेशाध्यक्ष भी मौके पर पहुंचे लेकिन उन्हें लोगों की हूटिंग का शिकार होना पड़ा। दोनों नेता लोगों के आक्रोश को देखते हुये तुरंत वहां से खिसक लिये।
अमृतसर के पुलिस आयुक्त एस.एस. श्रीवास्तव ने बताया कि इस घटना में 40-50 लोगों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि हताहतों की संख्या का आंकलन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि घायलों को अस्पताल में भतीर् कराया गया है। वहीं प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है इस घटना में कम से कम 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। उनका आरोप है कि रेलगाड़ी के चालक न तो हॉर्न बजाया और न ही फाटक के गटमैन ने रेलगाड़ी चालक को गति धीमी करने अथवा लोगों को रेलगाड़ी आने के प्रति सचेत किया। उनका दावा है कि फाटक का गेट भी बंद नहीं किया गया था।
इस बीच राज्य सरकार ने इस दुभार्ग्यपूर्ण घटना को लेकर एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है जिसके तहत सभी सरकारी कायार्लय और शिक्षण संस्थान 20 अक्तूबर को बंद रहेंगे। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुये हताहतों के परिजनों के प्रति हार्दिक समवेदन व्यक्त की है। उन्होंने घटना की जांच के भी आदेश दिये हैं। घटना का पता चलते ही उन्होंने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों और पुलिस महानिदेशक को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल के साथ तत्काल घटनास्थल पर भेजा। सरकार ने राहत एवं बचाव कायोर्ं की निगरानी हेतु स्वास्थय मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा के अध्यक्षता में आपदा प्रबंधन समूह का भी गठन किया है। राजस्व मंत्री सुखबिदंर सरकारिया और तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी इस समूह के सदस्य हैं।
अमृतसर रेल हादसा : चश्मदीदों ने बताया, आखिर कैसे गई 61 लोगों की जान
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