नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के बेड़े में हाल ही में शामिल हुए गहरे पानी में बचाव कार्य करने में सक्षम वाहन डीएसआरवी (डीप सबमर्जेन्स रेस्क्यू व्हिकल) के पहले सफल परीक्षण के साथ ही नौसेना की बचाव क्षमता में एक नया आयाम जुड़ गया है। अब भारतीय नौसेना गहरे पानी में उतरकर भी बचाव कार्य करने में पहले से कहीं अधिक सक्षम हो गई है।
नौसेना की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, पश्चिमी नौसैनिक कमान ने यहां डीएसआरवी का परीक्षण किया, इसने भारतीय समुद्री सीमा में ‘सबसे गहरे पानी में उतरने वाले मानव युक्त वाहन का रिकॉर्ड’ बनाया। बयान में कहा गया कि चालक दल के तीन सदस्यों के साथ काम करने वाली डीएसआरवी किसी पनडुब्बी से एक बार में 14 लोगों को बचा सकती है।
नौसेना के एक बयान के मुताबिक, ‘डीएसआरवी ने 300 फुट से ज्यादा गहरे पानी में एक पनडुब्बी से संपर्क बनाया और उसके कर्मियों को बचाव वाहन में स्थानांतरित किया।’ उसका कहना है कि यह परीक्षण समुद्र के भीतर संकट में फंसी पनडुब्बी से लोगों को बचाने की डीएसआरवी की क्षमता को साबित करते हैं और इससे भारतीय नौसेना को एक महत्वपूर्ण सामर्थ्य हासिल हुआ है।
परीक्षणों के दौरान डीएसआरवी ने 666 मीटर की गहराई तक सफलतापूर्वक गोता लगाया। यह भारतीय समुद्री सीमा में मानव संचालित वाहन द्वारा अब तक की सबसे गहराई तक गोता लगाने का रिकॉर्ड है। बयान में कहा गया कि डीएसआरवी ने 750 मीटर से भी ज्यादा की गहराई में आरओवी (रिमोट संचालित वाहन) को भी ऑपरेट किया और 650 मीटर से ज्यादा की गहराई में सोनार का प्रयोग किया।
चालू परीक्षणों में वायु यातायात प्रणाली को भी शामिल किया जाएगा, जो भारतीय वायु सेना के भारी वजन वाले यातायात हवाई जहाजों द्वारा चलाई जाती है। परीक्षणों के पूरा हो जाने के बाद भारतीय नौसेना विश्व की नौसेनाओं के उस छोटे समूह में शामिल हो जाएगी, जिनके पास समेकित पनडुब्बी बचाव क्षमता मौजूद है।
भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बचाव की ताकत बढ़ी
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