नई दिल्ली:राष्ट्रीय चयन समिति को तब शर्मसार होना पड़ा जब महेंद्र सिंह धौनी ने झारखंड के लिए विजय हजारे ट्रॉफी क्वार्टरफाइनल में खेलने से इनकार कर दिया। जबकि मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने दो दिन पहले सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा की थी। इस मौजूदा घटना से स्पष्ट हो गया है कि चयनकर्ताओं और सीनियर खिलाड़ियों के बीच कोई संवाद नहीं होता। खिलाड़ी अपना कार्यक्रम खुद तय करते हैं।
धौनी पिछले दो साल से बल्लेबाज के तौर पर फॉर्म में नहीं है, उनके महाराष्ट्र के खिलाफ झारखंड का क्वार्टरफाइनल मैच खेलने की उम्मीद थी। लेकिन शनिवार को झारखंड के मुख्य कोच राजीव कुमार ने बेंगलुरू में पत्रकारों को बताया कि धौनी ने क्वार्टरफाइनल में नहीं खेलने का फैसला किया जबकि मुख्य चयनकर्ता ने इससे पहले उनके इसमें हिस्सा लेने की घोषणा की थी।
झारखंड के कोच कुमार ने कहा, धौनी को लगता है कि इस चरण में टीम से जुड़ना उचित नहीं होगा, क्योंकि टीम ने इतना अच्छा प्रदर्शन किया है और उनकी अनुपस्थिति में क्वार्टरफाइनल तक जगह बनायी है। वह टीम का संतुलन नहीं बिगाड़ना चाहते। धोनी ने इस साल 22 दिन (15 वनडे और सात टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच) ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला है जिससे वह जब भी लंबे ब्रेक के बाद खेलते हैं तो फार्म में नहीं दिखते। ये भी सवाल उठाये जा रहे हैं कि प्रसाद ने सार्वजनिक घोषणा करने से पहले धोनी से एक बार बात की थी। बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने शनिवार को कहा, मैं जानना चाहूंगा कि एमएसके प्रसाद कैसे धोनी से संपर्क करते हैं।
महेंद्र सिंह धौनी ने फिर पेश की मिसाल
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