नई दिल्ली:नक्सली हिंसा में कमी के दावे के बावजूद सुरक्षा एजेंसियां नक्सलियों को देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा मान रही हैं। एजेंसियों की एक आंतरिक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों को मिली सफलता और हिंसा में 30 फीसदी तक कमी के बावजूद एक बड़े इलाके में इनकी चुनौती बनी हुई है। एजेंसियां दुष्प्रचार रणनीति के मामले में नक्सलियों को कश्मीरी आतंकियों से बड़ा खतरा मानती हैं। देश में कुल उग्रवादी घटनाओं का 50 फीसदी से ज्यादा नक्सली हिंसा की घटनाएं हैं।
सहानुभूति के लिए व्यापक नेटवर्क
दुष्प्रचार फैलाने के मामले में नक्सलियों के नेटवर्क को एजेंसियां अधिक मजबूत मान रही हैं। उनका मानना है कि कई नागरिक संगठन सीपीआई माओवादी के लिए काम कर रहे हैं। सिविल संगठन नक्सलियों के लिए सहानुभूति पैदा करके इनको नए इलाकों तक पहुंचाने में मदद की कवायद कर रहे हैं। दावा है कि सीपीआई माओवादी से जुड़े संगठन नए जिलों व शहरों में प्रोपगेंडा फैलाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
खुफिया तंत्र से नकेल में मदद
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े अधिकारी ने कहा कि नक्सल इलाकों में खुफिया नेटवर्क बढ़ाया जा रहा है। ताकि नए इलाकों में पैठ की कोशिश और नक्सलियों की नई रणनीति को मुस्तैदी से विफल किया जा सके। स्थानीय लोगों को खुफिया नेटवर्क से जोड़ा गया है। इससे सुरक्षा बलों का नक्सलियों का गढ़ भेदने में मदद मिल रही है।
दुष्प्रचार रणनीति में नक्सली कश्मीरी आतंकियों से ज्यादा घातक – रिपोर्ट
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