नई दिल्ली:फ्रांस के साथ लड़ाकू विमान राफेल सौदे को लेकर सरकार के फैसले पर उठाए जा रहे सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से बिना नोटिस जारी किए इसकी खरीद के फैसले की प्रक्रिया का ब्योरा मांगा है। बुधवार को कोर्ट स्पष्ट किया कि उसे कीमत और सौदे के तकनीकी विवरणों से जुड़ी सूचनाएं नहीं चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से राफेल पर फैसले की प्रक्रिया का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में सौंपने को कहा। दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि इसे औपचारिक नोटिस न समझा जाए।
शीर्ष अदालत उन दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी जिनमें एक में यह मांग की गई थी कि 36 लड़ाकू राफेल विमानों को फ्रांस से खरीदने के लिए भारत ने जो समझौते किए उसका पूरा ब्योरा दिया जाए। जबकि, दूसरी याचिका में शीर्ष अदालत के पर्यवेक्षण में विशेष जांच दल बनाए जाने की मांग की गई थी।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि फ्रांस के साथ हुए इस सौदे के संबंध में उसे कीमत और सौदे के तकनीकी विवरणों से जुड़ी सूचनाएं नहीं चाहिए। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि वह याचिकाओं में लगाए गए आरोपों को ध्यान में नहीं रख रहा है।
न्यायालय ने केन्द्र से कहा कि वह सीलबंद लिफाफे में से 29 अक्टूबर तक सूचनाएं सौंपे। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 31 अक्टूबर की तारीख तय की है। सुनवाई के दौरान केन्द्र ने राफेल पर दाखिल जनहित याचिकाओं का विरोध किया और यह कहते हुए उन्हें खारिज करने का अनुरोध किया कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए ये दाखिल की गई हैं।
अटॉर्नी जनरल ने न्यायालय से कहा कि राफेल सौदा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और ऐसे मुद्दों की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है। वहीं कांग्रेस नेता और आरटीआई कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे के संबंध में दायर अपनी जनहित याचिका वापस ले ली है। पीठ राफेल सौदे को लेकर दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
इन याचिकाओं में केंद्र को ये निर्देश देने की मांग की गई है कि वह राफेल सौदे के ब्योरे और संप्रग और राजग सरकार के कार्यकाल के दौरान सौदे की तुलनात्मक कीमतों का विवरण सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत को सौंपे।
इससे पहले, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने वकील विनीत ढांडा की तरफ से दायर याचिका पर 10 अक्टूबर को सुनवाई के लिए राजी हुई थी। साथ ही, पीठ ने यह आदेश दिया कि ढांडा की याचिका को उससे पहले वकील एमएल शर्मा की तरफ स दायर उस याचिका के साथ जोड़ा जाए जिसमें शर्मा ने भारत और फ्रांस के बीच लड़ाकू विमान सौदे पर रोक की मांग की गई थी।
अपनी याचिका में ढांडा ने भारत और फ्रांस के बीच हुए समझौते को सील बंद लिफाफे में देने के लिए केन्द्र को निर्देश देने की सर्वोच्च अदालत से मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से पूछा- कैसे लिया गया राफेल खरीदने पर फैसला? बताए पूरा ब्योरा
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