आदित्य तिक्कू।।
अमेरिकी राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद बाइडन के आसपास सुरक्षा घेरा बढ़ा दिया गया है। बताया जा रहा है कि पिछले एक सप्ताह से सीक्रेट सर्विस की एक टीम इसके लिए तैयारी कर रही थी। अच्छा है विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के प्रथम व्यक्ति को सुरक्षित रहना भी चाहिए अन्यथा वह देश और विश्व को भय मुक्त कैसे करेंगे। अमेरिका स्वत: इतना विभाजित कभी नहीं दिखा या दुनिया के समक्ष पर्दा उठा वह एक अलग विषय है।
राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद जब बाइडन ने खास तौर पर यह कहा कि वह अमेरिका को एकजुट करेंगे। उनकी ओर से ऐसा कोई संदेश दिया जाना इसलिए आवश्यक था, क्योंकि अमेरिका इसके पहले इतना अधिक एकजुट कभी नहीं दिखा। बाइडन की जीत यह बता रही है कि अमेरिकी जनता ने ट्रंप के मुकाबले उनसे अधिक उम्मीदें लगा रखी हैं, वास्तव में बाइडन के सामने जितनी बड़ी चुनौती घरेलू समस्याओं से निपटने की है, उतनी ही अंतरराष्ट्रीय समस्याओं से भी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़ी चुनौती अहंकारी चीन पर नियंत्रण करने की है।
बाइडेन और ट्रम्प की भारत के प्रति विदेश नीति में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। इसलिए भारत और अमेरिका के संबंधों में बदलाव होने की संभावना ना के बराबर है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय मूल के ज्यादातर लोगों ने बाइडेन को वोट दिया है। यानी अब बाइडेन पर भारत के साथ व्यापारिक संबंध बेहतर करने का दबाव होगा ही क्योंकि अब भारतीय यस बॉस नहीं आई ऍम दी बॉस की पोजीशन में आ चुका है। वैसे अमेरिका में सरकारें आती-जाती रहती हैं लेकिन वहां की विदेश नीति में बड़े बदलाव बहुत कम होते हैं। इस समय अमेरिका की विदेश नीति, चीन के खिलाफ है और ये नीति आगे भी कायम रह सकती है। ईरान, तुर्की और उत्तर कोरिया के प्रति तो उनकी संभावित नीति का अनुमान लगाया जा सकता है, क्योंकि वह चुनाव प्रचार के दौरान इन देशों के बारे में अपने विचार व्यक्त करते रहे हैं, लेकिन यह कहना कठिन नहीं है कि वह चीन के मामले में किस नीति पर चलेंगे।
भारत के साथ संबंद्ध दृढ़ ही होंगे ओबामा जब राष्ट्रपति थे, तब वह स्टेट रेप्रेसेंटिटिव से ज्यादा सेल्स रेप्रेसेंटिटिव लग रहे थे और ट्रंप तो राष्ट्रपति बनने से पहले व बाद में भारत-भारत जप रहे थे। इसलिए मैं आश्वस्त हूं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति कोई भी हो उन्हें चलना है तो आगे नहीं साथ ही चलना पड़ेगा। वैसे बता दू जब प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर गए थे। उस समय बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति और जो बाइडेन अमेरिका के उप-राष्ट्रपति थे। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जो बाइडेन की एक मुलाकात हुई थी और इस मुलाकात के बारे में बाइडेन ने जो बातें कही थीं, उससे लगता है कि बाइडेन के राष्ट्रपति बनने से भारत को चिंतित होने की जरूरत नहीं है। मज़े की बात है भारत और भारत के प्रधानमंत्री के लिए समर्पित दोनों ही दिखे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में। बाइडन ने अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए भारतीय मूल की कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति घोषित कर दिया था। समझिये विश्व की सबसे बड़ी शक्ति के समक्ष कोई शक्ति है तो वह हम है भारतीय।