नई दिल्ली:भारतीय सेना शुक्रवार को होने जा रही कोर कमांडर स्तर की आठवें दौर की वार्ता में पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले सभी स्थानों से चीनी सैनिकों की पूर्ण वापसी पर जोर देगी। आधिकरिक सूत्रों ने गुरुवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि बैठक शुक्रवार को सुबह साढ़े नौ बजे पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय क्षेत्र की तरफ चुशूल में होगी।
पूर्वी लद्दाख में हाड़ जमा देने वाली सर्दी में भारत के लगभग 50,000 सैनिक किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्वतीय ऊंचाइयों पर तैनात हैं। छह महीने से चले आ रहे इस गतिरोध को लेकर दोनों देशों के बीच पूर्व में हुई कई दौर की बातचीत का अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। अधिकारियों के अनुसार चीनी सेना ने भी लगभग 50,000 सैनिक तैनात कर रखे हैं।
कोर कमांडर स्तर की पिछले दौर की वार्ता 12 अक्तूबर को हुई थी, लेकिन इसका भी कोई ठोस परिणाम नहीं निकला था। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल में कहा था कि भारत और चीन के बीच गंभीर तनाव है तथा सीमा प्रबंधन को लेकर दोनों पक्षों द्वारा किए गए समझौतों का सम्मान किया जाना चाहिए। आठवें दौर की वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन करेंगे जो लेह आधारित 14वीं कोर के नए कमांडर हैं।
पिछले दौर की वार्ता के बाद दोनों सेनाओं ने संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि दोनों पक्ष सैन्य एवं कूटनीतिक माध्यमों से वार्ता तथा संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुए हैं जिससे कि जल्द से जल्द पारस्परिक रूप से सहमति वाले समाधान पर पहुंचा जा सके। छठे दौर की सैन्य वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने अग्रिम मोर्चे पर और सैनिक न भेजने, जमीन पर स्थिति को एकतरफा ढंग से बदलने से बचने और स्थिति को बिगाड़ने वाली कोई कार्रवाई न करने जैसे कुछ कदमों की घोषणा की थी। भारत कहता रहा है कि सैनिकों को हटाने और तनाव कम करने की जिम्मेदारी चीन की है।