आदित्य तिक्कू।।
फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में निकिता की हत्या करने के बाद आरोपी तौसीफ और रेहान हरियाणा के मेवात भाग गए। देश की संसद से मेवात की दूरी 100 किलोमीटर से भी कम है । लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जहां हरियाणा के गुड़गांव जैसे शहरों की सीमा खत्म होती है, वहीं से मेवात जैसे इलाकों की सीमा शुरू होती है और इन इलाकों में अक्सर देश की संसद द्वारा बनाए गए कानून और संविधान नहीं चलते । नकारात्मक नहीं सही लिख रहा हूं। नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक मेवात भारत के सबसे पिछड़े जिलों में से एक है। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक मेवात की जनसंख्या 10 लाख है, जिनमें से सिर्फ 56 प्रतिशत लोग ही पढ़ना-लिखना जानते हैं। साक्षरता दर के मामले में पूरे हरियाणा में मेवात की स्थिति सबसे बुरी है।
वर्ष 2016 तक गुड़गांव की जेल में 2 हज़ार 100 अपराधी बंद थे और इनमें से 500 अपराधी सिर्फ मेवात के रहने वाले थे। यानी गुड़गांव की जेल में बंद कुल कैदियों में मेवात के अपराधियों की संख्या 24 प्रतिशत थी। वर्ष 2016 तक फरीदाबाद की ज़िला जेल में भी जितने कैदी बंद थे। उसमें से भी 25 प्रतिशत मेवात के थे ।
मेवात इलाके में धर्म परिवर्तन का जो सिलसिला 8वीं शताब्दी में शुरू हुआ था और लंबे समय तक जारी रहा और इसका नतीजा ये हुआ मेवात भारत के उन जिलों में शामिल हो गया जहां की बहुसंख्यक आबादी मुसलमान है। वर्ष 2013 में आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि हरियाणा के 500 गावों में से 103 गांव ऐसे हैं जहां अब एक भी हिंदू नहीं बचा है, जबकि 82 गांव ऐसे हैं जहां सिर्फ चार से पांच हिंदू परिवार बचे हैं । ये रिपोर्ट 7 वर्ष पुरानी है। इसलिए हम ये तो नहीं कह सकते कि आज मेवात में क्या स्थिति है । लेकिन मेवात में हालात बेहतर हुए हों इसकी संभावना असम्भव है यह निश्चित कह सकते है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 और 28 में देश के हर नागरिक को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है।
अनुच्छेद 25 के मुताबिक, सभी नागरिकों को अपनी पसंद के धर्म को मानने, उसका पालन करने और अपना धर्म के प्रचार की आजादी है। लेकिन प्रचार के अधिकार में किसी अन्य व्यक्ति के धर्मान्तरण का अधिकार शामिल नहीं है।
अनुच्छेद 26 सभी धार्मिक संप्रदायों और संगठनों को नैतिकता के आधार पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने और संस्थाएं बनाने का अधिकार देता है।
और अनुच्छेद 27 में कहा गया है कि किसी भी नागरिक को किसी विशेष धर्म या धार्मिक संस्था को टैक्स या दान देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता । लेकिन दुःख इस बात का है कि मेवात मॉडल के नाम पर संविधान की सारी व्यवस्थाओं की धज्जियां उड़ाई जा रही है। संविधान भारत में अल्पसंख्यक को संरक्षण का भरोसा देता है। लेकिन कुछ लोग ये संरक्षण हासिल करके भी देश पर शरिया कानून थोपना चाहते हैं। यानी ये लोग कहते हैं कि तुम मुझे संरक्षण दो, मैं तुम्हें शरिया दूंगा।
वर्ष 2018 में मेवात से करीब 45 किलोमीटर दूर हरियाणा के पलवल के उटावड़ गांव में एक मस्जिद बनाई गई थी जो NIA की जांच में ये खुलासा हुआ था कि इस मस्जिद का निर्माण आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तोयबा की फंडिग से हुआ है। लश्कर-ए-तोयबा का चीफ आतंकवादी हाफिज सईद है जो मुंबई में हुए 26/11 हमले का मास्टर माइंड था।
यानी मेवात में कट्टरपंथी इस्लाम के जो बीज बोए जा रहे हैं, उसकी फसल देश के दूसरे इलाकों में भी काटी जा रही है और ये बहुत खतरनाक स्थिति है।
मजहबी कट्टरता के नाम पर भारत से लेकर फ्रांस तक जल रहा है लेकिन बात-बात पर माचिस लेकर आग लगाने वालों की आज मोमबत्ती नहीं जल रही। सारे ‘सेक्युलर सरकास्ट’ की जुबान को लकवा मार गया है। बारूदी बुद्धिजीवी तो मानो तीर्थ यात्रा पर चले गए हैं। कुल मिलाकर वोटबैंक के चश्मे से वारदात को देखने वालों के कूचे में लव जेहाद के नाम पर ऐसा सन्नाटा है मानो वो मंगल पर पानी ढूंढ़ने में व्यस्त हों। बल्लभगढ़ में भारत की बेटी निकिता ने इस्लाम नहीं कबूल किया। जेहादियों के नापाक मंसूबों को विरोध किया तो लव जेहाद के नाम पर उसे सरेआम गोली मार दी जाती है। फ्रांस में टीचर सैमुअल पैटी सिर्फ कार्टून बनाने के लिए जेहाद के शिकार हो जाते हैं। पैगंबर मोहम्मद का कार्टून क्लास में दिखाया, उनका सिर कलम कर दिया जाता है। एक सेकंड यह मत सोचिये की यह कटरता अब बढ़ रही है यह शुरू से इतने ही हैवानियत मानसिकता से ग्रस्त रहे है कौन भूल सकता है १९८९ में कैसे एक शिक्षक की निर्मम हत्या करदी वह भी उन जेहादियों ने जो उनकी मदद के लिए आयी थी।कश्मीर में तो इनके क्रूरता की अनगिनत घाव है। इन घटनाओं में एक बात कॉमन है। वो है मजहबी कट्टरता। मजहब के नाम पर एक शिक्षक तो एक छात्रा की जिंदगी छीन ली जाती है।
फ्रांस ने तो इस मजहबी कट्टरता के खिलाफ एक्शन शुरू कर दिया है। फ्रांस ने राजधानी पेरिस के उत्तर-पूर्वी इलाके में स्थित कट्टरपंथियों पर सख्त कार्रवाई की। टीचर सैमुअल के खिलाफ इस्लामिक एजेंडा चलाने वाली मस्जिद को बंद करा दिया। अब तक 120 स्थानों और संगठनों की तलाशी ली गई है । 213 से ज्यादा कट्टरपंथियों की पहचान करके उन्हें देश से बाहर निकालने की तैयारी है। लेकिन भारत में इतना सन्नाटा क्यों है? हर बात पर क्रांति करने वालो की मशाल में आग क्यों गायब है?
भारत को अब फ्रांस जैसे देशों से सीखना चाहिए। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों खुलकर कट्टरपंथियों के सामने आ गए हैं और अब उन्होंने फैसला किया है कि वो कट्टरपंथी इस्लाम को अपने देश में बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके लिए वो पूरी दुनिया की नाराज़गी मोल लेने के लिए भी तैयार हैं। क्रांति इसे कहते है अपने देश के विरोध में नारे लगने और विरोध के नाम पर आग लगाने को नहीं। अब भी आंख और आवाज़ नहीं खोली तो आने-वाली पीढ़िया सवाल करने लायक भी नहीं बचेगी …. बाते नीरस है पर सोचियेजी प्रशनचिह्न आप के अस्तित्व पर है…..