नई दिल्ली:दिल्ली सरकार ने कोरोना संक्रमण के चलते मरने वाले दिल्ली पुलिस के एएसआई को 1 करोड़ रुपए की अनुदान राशि देने से मना कर दिया है। सरकार ने उनकी फाइल को यह कहते हुए लौटा दिया है कि उनकी ड्यूटी कोरोना के लिए नहीं लगाई गई थी। एएसआई 53 वर्षीय शीश मणि पांडे की फाइल लौटाने के बाद अब कई पुलिसकर्मियों को मिलने वाली यह राशि संदेह के घेरे में आ गई है। जिससे उनके परिजन परेशान हैं।
एएसआई 53 वर्षीय शीश मणि पांडे दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के फिंगरप्रिंट ब्यूरो में तैनात थे और 26 मई वह कोरोना संक्रमित पाए गए थे और 30 मई को उनका निधन हो गया था। दिल्ली सरकार के अधिकारियों का कहना है कि कैबिनेट निर्णय संख्या 2835 दिनांक 13.05.2020 के तहत शीश मणि पांडे का केस नहीं आता है क्योंकि वह अपनी रोज की ड्यूटी कर रहे थे। उनकी ड्यूटी कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए नहीं लगाई गई थी। जबकि सरकार के फैसले में बताया गया था कि कोरोना के चलते मरने वाले उन पुलिस व अन्य सरकारी अधिकारियों को 1 करोड़ की राशि दी जाएगी। जिनकी ड्यूटी संक्रमण बचाव क्षेत्र में लगाई जाएगी।
शीश मणि पांडे के बेटे कृष्ण कुमार पांडे ने बताया कि शनिवार को हमें दिल्ली पुलिस द्वारा बताया गया कि हमारी फाइल खारिज कर दी गई है। हम हैरान थे क्योंकि हम इस पैसे पर बहुत अधिक निर्भर थे। हमें हमेशा पुलिस के अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिया गया था कि हमें यह पैसा मिलेगा। लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा, जिसके चलते अब हमें अन्य रास्तें तलाशने होंगे।
हत्या के मामले की जांच के दौरान हुए संक्रमित
मृतक एएसआई के बेटे ने आरोप लगाते हुए कह कि उनके पिता नबी करीम इलाके में हुई एक हत्या के मामले में जांच के लिए गए थे। जहां मरने वाला व्यक्ति कोरोना संक्रमित था और वहां जाने के बाद उनके पिता कोरोना संक्रमित हुए। उन्होंने कहा कि कोरोना जब सभी कर्मचारियों को घर से काम के लिए बोला गया था, लेकिन पुलिस बल के पास कोई विकल्प नहीं था। ऐसे में उन्हें ड्यूटी पर जाना ही था। तो उन्हें क्यों कोरोना योद्धा नहीं माना जा रहा है। जब वह ड्यूटी के दौरान संक्रमित हुए थे, तो उन्हें भी सरकार की ओर से मिलने वाली मदद मिलनी चाहिए।
घर में अकेले कमाने वाले थे एएसआई
शीश मणि पांडे के परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटे हैं। दोनों बच्चे अभी पढ़ाई कर रहे हैं। जबकि पत्नी हाऊस वाइफ है। ऐसे में वह अपने परिवार में अकेले कमाने वाले थे। परिजनों का कहना है कि उन्होंने इस अनुदान राशि मिलने पर कई प्लान बनाए हुए थे, जो आने वाले समय में परिवार की आर्थिंक स्थिती को मजबूत करते, लेकिन अब ऐसा नहीं है। जिसके चलते परिवार की आर्थिक स्थिती आने वाले समय में सही रहे इसके लिए कई अन्य रास्ते तलाशने पड़ेंगे।