मुंबई। ज्ञानशाला के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि श्री उदित कुमार जी के सानिध्य में अनुव्रत भवन जलगांव में नवकार मंत्र के कोटि जप अनुष्ठान का समापन किया गया। मुनि श्री ने प्रेरणा देते हुए कहा कि जैन धर्म में सबसे बड़ा मंत्र नवकार महामंत्र है यदि व्यक्ति उसे श्रद्धा निष्ठा और आस्था के साथ जप करें तो जीवन में आने वाली अनेक प्रकार की कठिनाइयां आधि-व्याधि-उपाधि दूर हो सकती है । व्यक्ति के भीतर जप से एक आभामंडल बनता है। प्रत्येक स्थिति में धैर्य बना रहता है। इसलिए नवकार मंत्र को मंत्रों का राजा कहा गया है।
ज्ञातव्य है कि कोटि जप अनुष्ठान में एक करोड़ नवकार मंत्र का जप सामूहिक रूप से किया गया । 108 दिन चले इस अनुष्ठान में 102 व्यक्तियों ने सहभागिता दर्ज कराई । इस अनुष्ठान में प्रतिदिन 11 माला नवकार मंत्र की नियम सहित फेरनी थी। तेरापंथ महिला मंडल जलगांव के द्वारा इस अनुष्ठान का आयोजन हुआ।
महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती निर्मला जी छाजेड़ ने अनुष्ठान समापन पर कहा कि इस प्रकार का अनुष्ठान अपने आप में विशिष्टता लिए हुए है।संभागियों ने कर्म निर्जरा का लाभ कमाया है। समापन समारोह में सामूहिक रूप से नवकार मंत्र का जप किया गया। यह कोटि जप अनुष्ठान 8 जुलाई से प्रारंभ हुआ था और 23 अक्टूबर को समापन हुआ।
जलगांव में कोटि जप अनुष्ठान का समापन

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