पटना:बिहार के गया जिले में शुक्रवार को आयोजित चुनाव सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। वहीं पीएम मोदी ने राज्य की जनता से अपील करते हुए कहा कि नीतीश कुमार जी की अगुवाई में यहां बेहतर तालमेल वाली, तेजी से काम करने वाली सरकार बने इसके लिए आपका मतदान जरूर करना है। आपका वोट इसलिए जरूरी है ताकि बिहार फिर से बीमार न पड़ जाए। पीएम ने कहा कि जिन आशाओं और अपेक्षाओं के साथ आपने केंद्र में हमें अवसर दिया उनको तेजी से पूरा करने के लिए बिहार में फिर भाजपा, जेडीयू, हम पार्टी और वीआईपी पार्टी का गठबंधन यानी एनडीए सरकार जरूरी है।
पीएम मोदी ने कहा कि बीते सालों में गरीब, वंचित, दलित, शोषित, पिछड़े, अति पिछड़ों के सशक्तिकरण के लिए एक के बाद एक बड़े सुधार किए गए हैं। अब गरीबों और वंचितों को उनके हक का पूरा लाभ दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। सुशासन के लिए टेक्नोलॉजी को आधार बनाया गया है।
राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी राजद का नाम लिये बगैर पीएम मोदी ने कहा कि पहले राशन हो, गैस सब्सिडी हो, पेंशन हो, स्कॉलरशिप हो, हर जगह घोटाला-घपला चलता था। अब आधार, फोन और जनधन खाते से सब जुड़ चुका है। अब गरीब को उसका पूरा हक समय पर मिलना सुनिश्चित हुआ है। पीएम ने कहा कि देश को तोड़ने की, देश को बांटने की वकालत करने वालों पर जब एक्शन लिया जाता है, तो ये लोग उनके साथ खड़े हो जाते हैं। इन लोगों का मॉडल रहा है बिहार को बीमार और लाचार बनाना।
उन्होंने कहा कि एनडीए के विरोध में इन लोगों ने मिलकर जो ‘पिटारा’ बनाया है, जिसे ये लोग महागठबंधन कहते हैं, उसकी रग-रग से बिहार के लोग वाकिफ हैं। वो लोग जो नक्सलियों को, हिंसक गतिविधियों को खुली छूट देते रहे, आज वो एनडीए के विरोध में खड़े हैं। नवादा और औरंगाबाद सहित बिहार के वो जिले जो विकास की दौड़ में पीछे छूट गए हैं उनको आकांक्षी जिलों के तौर पर चुना गया है। इन जिलों में शिक्षा, स्वास्थ, पोषण, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे तमाम पहलुओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
पीएम ने कहा कि बीते वर्षों में बिहार के इस हिस्से को नक्सलियों के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। अब नक्सलवाद को देश के एक छोटे से हिस्से में समेट दिया गया है। आज बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, IIT, IIM जैसे संस्थान खोले जा रहे हैं। यहां बोधगया में भी तो IIM खुला है जिस पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। वरना बिहार ने वो समय भी देखा है, जब यहां के बच्चे छोटे-छोटे स्कूलों के लिए तरस जाते थे।