नई दिल्ली:चुनाव आयोग ने मतदाताओं की संख्या में वृद्धि और महंगाई बढ़ने के मद्देनजर लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों के लिए व्यय की सीमा संशोधित करने के मुद्दे पर गौर करने के लिए एक कमेटी का गठन किया है। उम्मीदवारों के लिए व्यय सीमा आखिरी बार 2014 में संशोधित की गई थी। आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के लिए व्यय सीमा 2018 में बढ़ा दी गई थी।
आयोग ने बुधवार को एक बयान में कहा कहा, ”पिछले छह साल में मतदाताओं की संख्या 2019 में 83.4 करोड़ से बढ़कर 91 करोड़ होने और अब इसके बढ़कर 92.1 करोड़ होने के बावजूद सीमा नहीं बढ़ाई गई। इस दौरान लागत मुद्रास्फीति सूचकांक भी 220 से बढ़कर 2019 में 280 हो गया और अब यह 301 है।
पूर्व डीजी (जांच) हरीश कुमार और चुनाव आयोग के महासचिव उमेश सिन्हा वाली कमेटी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश में मतदाताओं की संख्या में आए बदलाव और खर्च के संबंध में आकलन करेगी । यह समिति राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों से राय और सूचनाएं लेगी और खर्च पर असर डालने वाले अन्य पहलुओं पर गौर करेगी । निर्वाचन आयोग ने कहा है कि कमेटी गठन के के चार महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी ।
चुनाव आयोग की सिफारिशों के आधार पर कोविड-19 के कारण उम्मीदवारों को प्रचार करने में आ रही दिक्कतों को देखते हुए सरकार ने सोमवार को मौजूदा व्यय सीमा में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी थी ।