कोरोना के डर से दुनिया के कई देशों ने खाद्यान्न की जमाखोरी शुरू कर दी है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, काहिरा, पाकिस्तान, जॉर्डन, मिस्र, ताइवान, चीन समेत कई देशों ने हाल के दिनों में बड़े पैमाने पर खाद्यान्न की जमाखोरी शुरू की है। जॉर्डन ने अप्रैल से अब तक वैश्विक बाजार से 50 फीसदी अधिक गेहूं की खरीद की है। दुनियाभर के देश कोरोना से आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होने और खाद्यान्न की कमी को पूरा करने के लिए यह जमाखोरी कर रहे हैं। यह रुझाने आने वाले दिनों में बढ़ सकता है।
आसमान छू सकती है महंगाई
रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि जिस रफ्तार से दुनियाभर के देशों में खाद्यान्न की जमाखोरी की जा रही है उससे आने वाले दिनों में महंगाई में बड़ा उछाल आ सकता है। इसकी एक और वजह यह भी है कि कई देशों ने अपने यहां से निर्यात को रोक दिया है। इसका भी असर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ेगा। ये कीमत बढ़ाने का काम करेंगे। हालांकि, अभी से ही महंगाई तेजी से बढ़नी शुरू हो गई है। चीन, पाकिस्तान समेत कई देशों में महंगाई हाल के दिनों में कई उत्पादों पर 20 फीसदी तक बढ़ी है।
भारत में थोक महंगाई सितंबर में बढ़कर 1.32 प्रतिशत हुई
खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी के चलते थोक कीमतों पर आधारित महंगाई सितंबर 2020 में बढ़कर 1.32 प्रतिशत हो गई। बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मासिक डब्ल्यूपीआई (थोक मूल्य सूचकांक) पर आधारित मुद्रास्फीति की वार्षिक दर सितंबर में 1.32 प्रतिशत (अनंतिम) रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 0.33 प्रतिशत थी। थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 0.16 प्रतिशत थी।
इससे पहले डब्ल्यूपीआई पर आधारित मुद्रास्फीति लगातार चार महीनों में नकारात्मक (अप्रैल में नकारात्मक 1.57 प्रतिशत, मई में नकारात्मक 3.37 प्रतिशत, जून में नकारात्मक 1.81 प्रतिशत और जुलाई में नकारात्मक 0.58 प्रतिशत) थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई 8.17 प्रतिशत रही, जबकि अगस्त में यह 3.84 प्रतिशत थी। समीक्षाधीन अवधि में अनाज की कीमतों में गिरावट आई, जबकि दालें महंगी हुईं। इस दौरान सब्जियों के महंगा होने की दर 36.54 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी। आलू की कीमत एक साल पहले के मुकाबले 107.63 प्रतिशत अधिक थी, हालांकि प्याज की कीमतों में कुछ गिरावट देखने को मिली।