मुंबई:टीम इंडिया के पूर्व ऑल-राउंडर युवराज सिंह की फैन फॉलोइंग काफी रही है। अपने करियर के दौरान युवी ने भारत के लिए कई मैच विनिंग पारियां खेली हैं। 2000 आईसीसी नॉकआउट टूर्नामेंट में युवी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 84 रनों की तूफानी पारी खेली थी और इस पारी से इंटरनैशनल लेवल पर नाम बनाना शुरू किया था। भारत के लिए मैच विनिंग पारी खेलने की यह महज शुरुआत थी। युवी ने 2002 नेटवेस्ट सीरीज में भी भारत के लिए अहम भूमिका निभाई थी। इसके बाद 2007 वर्ल्ड कप में भी युवी ने अपना जलवा बिखेरा। 2011 वर्ल्ड कप में भारत चैंपियन बना और मैन ऑफ द टूर्नामेंट युवी ही थे। युवी को इस शानदार करियर के दौरान एक बार का पछतावा है।
युवी ने टाइम्स नाउ से कहा, ‘अनुभव, अच्छे या बुरे, आपके बढ़ने और सीखने में मदद करते हैं और मैं उन्हें चेरिश करता हूं। अपने शुरुआती दिनों से लेकर 2011 वर्ल्ड कप, कैंसर के खिलाफ जंग और फिर क्रिकेट में वापसी तक मैंने जिंदगी में काफी कुछ देखा और इन अनुभवों से मैं वो इंसान बना हूं जो मैं आज हूं। मैं अपने परिवार, दोस्तों, साथी खिलाड़ियों और फैन्स का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मुझे सपोर्ट किया और हर कदम पर मेरा हौसला बढ़ाया।’
‘मुझे गर्व है कि मैं अपने देश के लिए खेला’
युवी ने कहा कि उन्हें एक बात का पछतावा है कि वो भारत के लिए ज्यादा टेस्ट मैच नहीं खेल सके। उन्होंने कहा, ‘जब मैं पीछे देखता हूं तो मुझे लगता है कि मुझे टेस्ट क्रिकेट खेलने का और मौका मिलना चाहिए था। उस समय सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग, वीवीएस लक्ष्मण, सौरव गांगुली जैसे स्टार क्रिकेटर थे ऐसे में टेस्ट टीम में जगह बनाना मुश्किल था। मुझे मौका तब मिला जब सौरव गांगुली रिटायर हुए, लेकिन इसके बाद मुझे कैंसर का पता चला और मेरी जिंदगी अलग मोड़ पर चली गई।’
युवी ने आगे कहा, ‘कोई बात नहीं, मैं खुश हूं अपनी क्रिकेट जर्नी से और इस बात का गर्व है कि मैं अपने देश के लिए खेल सका।’ युवी ने भारत के लिए 40 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 33.92 की औसत से 1,900 रन बनाए। युवी के खाते में टेस्ट में तीन सेंचुरी और 11 हाफसेंचुरी दर्ज हैं।