- साध्वी श्री सुदर्शनप्रभाजी के धर्मचक्र तप अनुमोदना का आयोजन
विजयनगर (बेंगलुरु)। महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी की प्रबुद्ध शिष्या साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी के सानिध्य में तेरापंथ भवन विजयनगर के सुरम्य प्रांगण में साध्वी श्री सुदर्शनप्रभाजी के धर्मचक्र तप की संपन्नता पर तप अनुमोदना का संक्षिप्त सा प्रेरणादायी कार्यक्रम समायोजित हुआ। गांधीनगर में चातुर्मास कर रही साध्वी श्री आणिमाश्रीजी ने सहवर्ती साध्वी कर्णिकाश्रीजी एवं साध्वी सुधाप्रभाजी को तपस्विनी साध्वी सुदर्शनप्रभाजी की तप अनुमोदना के लिए विजयनगर भेजा एवं साध्वी श्री को कोटिशः बधाईया संप्रेषित की।
साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी अपनी सहवर्ती साध्वियों के साथ आगन्तुक साध्वियों की अगवानी में पहुची। विनय व वात्सल्य का भावपूर्ण दृष्य देखकर हर व्यक्ति भावविभोर व रोमांचित हो गया। सबने एक स्वर में कहा ऐसा नजारा तेरापंथ धर्मसंघ में ही देखने को मिल सकता है। साध्वी सुदर्शनप्रभाजी, साध्वी राजुलप्रभाजी, साध्वी चैतन्यप्रभाजी, साध्वी शौर्यप्रभाजी ने दिल को छूने वाला स्वागत गीत प्रस्तुत कर हर व्यक्ति के दिल को बाग-बाग कर दिया।
साध्वी श्री मंगलप्रभाजी ने अपने प्रेरक व प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा तेरापंथ धर्मसंघ का भव्य भव्य महल तप की नींव पर खड़ा है। तपस्वी साधु-साध्वियों ने तप का सिंचन देकर धर्मसंघ को मजबूती प्रदान की है। सावन भादवे का यह समय तप की गंगा में डुबकी लगाने का समय है। इस समय श्रावक समाज में तपस्या की झड़ी सी लग जाती है पर कोरोना ने तप पर ग्रहण सा लगा दिया है। श्रावक समाज मे हर वर्ष की अपेक्षा तपस्या कम हो रही है पर साधु-साध्वी समाज मे तो अच्छी तपस्या हो रही है। साध्वी सुदर्शनप्रभाजी ने धर्मचक्र तप सानंद संपन्न किया है। पूज्य गुरुदेव एवं श्रद्धेय महाश्रमणीवरा के ऊर्जामय आशीर्वाद के साथ-साथ इनको दृढ़ संकल्प एवं अटूट मनोबल से यह तप पूर्ण हुआ है। बड़ी जागरूकता के साथ इन्होंने तप किया है। सिर्फ बाह्य तप ही नही आभ्यंतर तप की साधना भी ये करती रही है। जप तप व ध्यान के साथ जो तपस्या होती है वो सोने में सुहागे का काम करती है, इनकी तपस्या सुहागे वाली तपस्या है। जप तप व ध्यान के द्वारा इन्होंने अपने समय का सार्थक उपयोग किया है। श्रद्धेय साध्वी प्रमुखाश्रीजी ने अपने संदेश में लिखवाया की तपस्या कर्म निर्जरा के साथ-साथ संघ प्रभावना में भी योगभूत बनती है। साध्वी सुदर्शनप्रभाजी संघ प्रभावना में निमित्त बनी है। मैं इनके तप की हार्दिक अनुमोदना के रही हूँ एवं तपोमय जीवन की मंगलकामना के रही हूँ। साध्वउ श्री आणिमाश्रीजी के प्रति भी हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित कर रही हूँ जिन्होंने इतनी दूर साध्वियों को भेजा। पुनश्च कृतज्ञता एवं तपस्या के प्रति मंगलकामना।
साध्वी चैतन्यप्रभाजी ने श्रद्धेया साध्वी प्रमुखाश्रीजी के उर्जामय मंगल संदेश का वाचन करते हुए अपनी भावनाएं व्यक्त की साध्वी श्री कर्णिकाश्रीजी ने कहा साध्वी सुदर्शनप्रभाजी की तप के साथ एकात्मकता है। तप के प्रति अभिरुचि है। छोटी वय में बड़ी-बड़ी तपस्या इन्होने की। तप के क्षेत्र में गति-प्रगति करते रहे। मंगलकामना। साध्वी सुदर्शनप्रभाजी ने अपने हृदयोदगार व्यक्त करते हुए कहा आचार्य तुलसी आचार्य महाप्रज्ञ एवं आचार्य महाश्रमण विलक्षण आचार्य त्रयी को मैं प्रणाम कर रही हूँ। जिनकी ऊर्जा एवं दिव्य आशीर्वाद से मैं तप के क्षेत्र में गतिमान हुई हुँ। श्रद्धेया महाश्रमणीजी की प्रत्यक्ष सनिद्धि ने मेरे सपनो में रंग भरा और मैं दो-दो मासखमण कर पाई। श्रद्धेया साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी की प्रेरणा एवं आत्मिक सहयोग से यह तप कर पाई। साध्वी श्री की संयम की चेतना एवं अनासक्ति की भावना प्रणम्य एवं हम सबके लिए प्रेरणा है। सभी साध्वियां मेरे तप में सहयोगी बनी है। सबके प्रति हार्दिक कृतज्ञता। साध्वी आणिमाश्रीजी की प्रेरणा भी मेरे तप में सहयोगी बनी है। उनकी प्रेरणा को मैं नमन कर रही हूँ।
साध्वी सुधाप्रभाजी ने अपनी सहदीक्षित साध्वी सुदर्शनप्रभाजी के तप की अनुमोदना करते हुए कहा तेरापंथ के तपस्वी साधु-साध्वियों में एक नाम है – साध्वी सुदर्शनप्रभाजी का। इनकी सांस-सांस में तप की सरगम सुनाई देती है। रोम-रोम में तप का नाम गुंजित हो रहा है। तपके साथ-साथ ज्ञान के क्षेत्र में भी इनका अच्छा क्षयोपशम है। अपनी कर्मजा शक्ति को अब ज्ञान की दिशा में योजित करें।
साध्वी राजुलप्रभाजी ने कुशल संचालन करते हुए कहा साध्वी सुदर्शनप्रभाजी ने धर्मचक्र तप कर तप का सुदर्शन चक्र चलाया है। तेरापंथ की गौरवशाली ख्यात में इन्होंने अपने नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित करवाया है। आचार्य महाश्रमण जी के शाशनकाल में लंबी तपस्या करनेवाली पहली साध्वी है। तप के और नए कीर्तिमान बनाए। मंगलकामना।
साध्वी शौर्यप्रभाजी ने हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी में विचार रखे। साध्वी कर्णिकाश्रीजी, साध्वी सुधाप्रभाजी ने साध्वी श्री आणिमाश्रीजी द्वारा प्रेषित गीत का सुंदर संगान किया तथा साध्वी समत्वयशाजी ने भावों की प्रस्तुति दी।
साध्वी राजुलप्रभाजी, साध्वी चैतन्यप्रभाजी एवं साध्वी शौर्यप्रभाजी ने तप अनुमोदना में भावपूर्ण मधुर संगान किया।
सभाध्यक्ष श्री राजेश जी चावत, मंत्री श्री मंगल जी बैद, तेयुप मंत्री देबांग बैद, महिलामंडल मंत्री श्रीमती मधु कटारिया, मंजू लूणिया, श्रीमती निर्मला गादिया, इन्द्रचन्दजी गादिया, श्री महेन्द्र टेबा, दिनेश मरोठी आदि की उपस्थिति रही।