नई दिल्ली:भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) द्वारा लोकमान्य तिलक पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज तिलक जी की 100वीं पुण्यतिथि है लेकिन आज भी उनका व्यक्तित्व, उनका काम, उनके विचार और उनके द्वारा शुरू की गई परम्पराएं उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी 100 वर्ष पहले थी। उन्होंन कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को भारतीय बनाने का काम अगर किसी ने किया तो वो लोकमान्य तिलक ने किया।
अमित शाह ने कहा, लोकमान्य तिलक जी का व्यक्तित्व अपने आप में बहुआयामी व्यक्तित्व था। ढेर सारी उपलब्धियां होने के बावजूद भी कोई व्यक्ति जमीन से जुड़ा कैसे रह सकता है, सादगी को कैसे अपने जीवन का अंग बना सकता है, अगर वो देखना है है तो तिलक महाराज के जीवन से ही देख सकते हैं।
उन्होंने कहा कि आज लोकमान्य तिलक जी के पूरे जीवन का लेखा-जोखा देखकर इतना जरूर कह सकते हैं कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को भारतीय बनाने का अगर किसी ने काम किया तो वो लोकमान्य तिलक जी ने किया। स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा। ये वाक्य जब तक देश की आजादी का इतिहास रहेगा तब तक स्वर्णिम अक्षरों में लोकमान्य तिलक जी के साथ जुड़ा रहेगा।
शाह ने कहा कि तिलक जी का ये विचार और दृष्टिकोण था कि स्वराज का आधार ही हमारी संस्कृति और पुरातन उपलब्धियां होनी चाहिए और भविष्य की जो चुनौतियां है, उन्हें पार करने के लिए दुनिया मे जो कुछ भी अच्छा है, उसको भी हमें खुले मन से स्वीकार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मरण और स्मरण इन दो शब्दों में आधे शब्द का ही अंतर है। मरण- मृत्यु हो जाने को कहते हैं। स्मरण- कोई जीवन ऐसा जीता है कि आधा ‘स्’ लग जाता है जो मरण के बाद लोगों के स्मरण में चिर काल तक जीता है। मुझे लगता है कि ये आधा ‘स्’ जोड़ने के लिए पूरा जीवन सिद्धांतों पर चलना पड़ता है।