नई दिल्ली:कोरोनावायरस के मौजूदा हालातों को देखते हुए सरकार लोन मोराटोरियम की सुविधा को एक बार फिर बढ़ा सकती है। शुक्रवार को इंडस्ट्री चैंबर फिक्की के समारोह में बोलते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह संकेत दिया। वित्त मंत्री ने कहा के सरकार लोन के पुनर्भुगतान पर मोराटोरियम और रिस्ट्रक्चरिंग को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के संपर्क में है। वित्त मंत्री ने कहा कि हम हॉस्पिटैलिटी सेक्टर की जरूरतों को समझते हैं और इसको लेकर सरकार आरबीआई के संपर्क में है।
सतही स्तर पर दिखे बदलावों का प्रभाव
वित्त मंत्री ने कहा कि लोन रिस्ट्रक्चरिंग पर सरकार का ध्यान है और वित्त मंत्रालय सक्रियता के साथ केन्द्रीय बैंक के साथ लगा हुआ है। इसका मकसद एक ही है कि यदि पुनर्गठन की जरूरत होती है तो उसे बेहतर तरीके से किया जाना चाहिए। सरकार की ओर से घोषित सुधारों का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि प्रत्येक कदम जो उठाए गए हैं, वे सभी हित-धारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद उठाए गए हैं। सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि कोई भी कदम असफल नहीं हो क्योंकि इसके लिए आवश्यक बदलाव किए गए हैं। जो कदम उठाये गये हैं उसके लिए यह भी सुनिश्चित किया गया है उनका प्रभाव सतही स्तर पर दिखे।
डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन पर काम जारी
सरकार की ओर से घोषित आपात क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत लोन को लेकर एमएसएमई की कठिनाइयों पर सीतारमण ने कहा कि इस योजना के तहत बैंक लोन देने से इंकार नहीं कर सकते हैं। यदि इंकार करते हैं तो इसकी जानकारी दी जानी चाहिए। वित्त मंत्रालय उस मामले को देखेगा। उन्होंने कहा कि डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन पर काम जारी है। इसका क्या आकार होगा, यह शीघ्र ही बताया जाएगा। वित्त मंत्री ने व्यापारिक समझौतों में लेनदेन की आवश्यकताओं पर जोर देते हुए कहा कि जिन देशों के साथ बाजार खोले गए हैं, उनके साथ इस तरह की संधियां की जाती है। व्यापार समझौते में यह बहुत ही अहम मसला होता है।
जीएसटी दरों में कमी का फैसला जीएसटी परिषद करेगी
उन्होंने कहा कि हेल्थकेयर और अन्य उत्पादों पर जीएसटी दर में कमी करने का निर्णय जीएसटी परिषद लेती है। हालांकि, उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र की मांग पर वित्त मंत्रालय, रिजर्व बैंक के साथ संपर्क में है। इससे पहले आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इंडस्ट्री को इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए फंड का इंतजाम अन्य तरीकों से भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बैंक इस समय बैड लोन की समस्या से गुजर रहे हैं और वे फंड देने में समर्थ नहीं हैं।