नई दिल्ली:कोरोना वायरस के संक्रमण काल में ऐसे कई लोग हैं, जो बेरोजगार हो गए हैं। कई पढ़े-लिखे लोगों की नौकरी चली गई है और वह मजदूरी या दूसरे काम करने को मजबूर हैं। इस महामारी का असर खेलों की दुनिया पर भी हुआ है। टूर्नामेंट रद्द होने की वजह से बहुत से खिलाड़ी खाली हैं। कोरोना और लॉकडाउन की वजह से कई नेशनल और स्टेट लेवल के खिलाड़ियों को मजदूरी करने और सब्जी बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उत्तराखंड व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान राजेंद्र सिंह धामी भी कोरोना काल में मनरेगा में मजदूरी का काम करने के लिए विवश हैं।
उत्तराखंड व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान राजेंद्र सिंह धामी इन दिनों अपना घर चलाने के लिए मनरेगा के तहत मजदूरी कर रहे हैं। धामी इस वक्त आर्थिक तंगी से के हालात से गुजर रहे हैं और काफी परेशान हैं। राजेंद्र सिंह धामी के पास कोरोना लॉकडाउन में अपने परिवार का गुजर-बसर करने के लिए कमाई का कोई साधन नहीं बचा है। ऐसे में वह उत्तराखंड में पत्थर तोड़कर घर चलाने को मजबूर हैं। ऐसे में उन्होंने सरकार से एक अपील की है।
पूर्व कप्तान राजेंद्र सिंह धामी ने कहा, ”उनका एक टूर्नामेंट शेड्यूल था, लेकिन कोविड-19 की वजह से वह रद्द हो गया। मेरी सरकार से अपील है कि मेरी क्वॉलिफिकेशन के मुताबिक मुझे नौकरी दिलवाई जाए।”
वहीं, डीएम डॉ. विजय कुमार जोगदांडे ने कहा, ”फिलहाल उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब है। हमने डिस्ट्रिक स्पोर्ट्स ऑफिसर से कहा है कि वह राजेंद्र को तुरंत पैसों की मदद पहुंचाए। उन्हें मुख्मंत्री स्वरोजगार योजना या अन्य योजनाओं के तहत लाभ दिया जाएगा, ताकि वह भविष्य में आजीविका अर्जित कर सके।”
बता दें कि राजेंद्र सिंह धामी जब 3 साल के थे, तब उन्हें पैरालिसिस हुआ। इसकी वजह से उनका 90 प्रतिशत शरीर दिव्यांग हो गया था। धामी ने क्रिकेट के मैदान पर कई शानदार परफॉर्मेंस दिए हैं। उन्होंने हिस्ट्री में मास्टर्स डिग्री और बीएड भी किया है। धामी मजदूरी करने से पहले रुद्रपुर में व्हीलचेयर वाले बच्चों को क्रिकेट की कोचिंग दे रहे थे, लेकिन कोरोना की वजह से यह सब रुक गया।