मुंबई। रेल एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को मुंबई सेंट्रल स्टेशन से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गूगल आर्ट्स एंड कल्चर के सहयोग से भारतीय रेलवे की ‘रेल धरोहर डिजिटलीकरण परियोजना’ का शुभारम्भ किया। यह परियोजना राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों को देश की रेल धरोहरों से रू-ब-रू कराने के उद्देश्य से दुनिया के इस हिस्से में अपनी तरह का प्रथम ऐतिहासिक प्रयास है। इसे ‘गाथा बयां करने वाले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म’ के जरिए सुलभ कराया जाएगा। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी, रेलवे बोर्ड के अन्य सदस्य, गूगल के वाइस प्रेसीडेंट (दक्षिण पूर्व एशिया एवं भारत) राजन आनंदन, गूगल कल्चरल इंस्टीट्यूट के निदेशक अमित सूद, रेलवे बोर्ड के अन्य अधिकारीगण, गूगल के अन्य गणमान्य व्यक्ति, यूनेस्को के अनेक प्रतिनिधि और रेलवे के उत्साही व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इस अवसर पर मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर माननीय रेल मंत्री के साथ पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक ए. के. गुप्ता, मध्य रेल के महाप्रबंधक डी. के. शर्मा तथा अन्य वरिष्ठ रेल अधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर बोलते हुए गोयल ने कहा कि भारतीय रेलवे और गूगल आर्ट्स एंड कल्चर एसोसिएशन को बधाई देता हूं। दो वर्षों से भी अधिक समय तक कड़ी मेहनत, अनुसंधान, अन्वेषण और अमल करने की बदौलत ही यह पहल संभव हो पाई है। यह अक्सर कहा जाता है कि अनगिनत पीढि़यों की अथक मेहनत से हजार वर्षों में सभ्यता का निर्माण होता है। प्रत्येक पीढ़ी इसमें अपनी विशिष्ट छाप छोड़ जाती है। किसी भी संस्कृति को इस छाप को अक्षुण्ण रखना चाहिए ताकि आगे चलकर यह स्मरण किया जा सके कि यह सभ्यता कैसी थी और इसका उद्भव कहा से हुआ था। जब भी हम भारत में परिवहन प्रणाली के उद्भव पर अपनी नजर दौड़ाएंगे, तो ये सभी समृद्ध परंपराएं, इतिहास और संस्कृति भारतीय रेलवे के क्रमिक विकास के तौर-तरीकों को समझने में अहम भूमिका निभाएंगी। रेलवे की स्थापना के 165 साल पूरे हो चुके हैं, इसलिए इस संगठन में ऐसी ढेर सारी सामग्री है जिसे भावी पीढि़यों के लिए संरक्षित रखने की आवश्यकता है। मार्क ट्वेन ने एक बार कहा था, ‘मानव जाति के इतिहास में हमारी सबसे मूल्यवान और शिक्षाप्रद सामग्री को भारत में ही सुरक्षित रखा जाता है।’ समय के साथ प्रौद्योगिकियां कैसे विकसित हुई हैं, दुनिया को इससे अवगत कराने के लिए भारतीय रेलवे के पास असंख्य कीमती क्षण हैं: रेलवे के इतिहास में मुम्बई का विशेष स्थान है क्योंकि मुम्बई में ही भारत की प्रथम रेल लाइन बिछाई गई थी। 16 अप्रैल 1853 को पहली ट्रेन बोरी बंदर और ठाणे के बीच चलाई गई थी। हम इस ऐतिहासिक परियोजना को प्रदर्शित करने के लिए भारत में विभिन्न स्थानों पर 22 डिजिटल स्क्रीन लगाएंगे।’ माननीय रेल मंत्री ने आगे बताया कि प्रत्येक जोन में कम से कम एक स्टेशन इस योजना के अंतर्गत कवर किया जायेगा तथा उस स्टेशन पर 3 डायमेंशनल एस्पेक्ट वाला स्क्रीन लगाया जायेगा, जिससे यात्रियों को एक मनोरंजक अनुभव प्राप्त होगा।
रेलमंत्री ने किया ‘रेल धरोहर डिजिटलीकरण परियोजना’ का उद्घाटन
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