नई दिल्ली:कोविड-19 महामारी के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने राज्य विश्वविद्यालयों की फाइनल ईयर समेत सभी परीक्षाओं को रद्द कर दिया है। स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी द्वारा तय किए गए मूल्यांकन मापदंडों के आधार पर डिग्री दी जाएगी। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को यह घोषणा की। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सिसोदिया ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर केंद्र के अंतर्गत आने वाले सभी विश्वविद्यालयों में भी अंतिम वर्ष समेत सभी परीक्षाओं को रद्द करने का अनुरोध किया है।
परीक्षाओं को लेकर यूजीसी और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की नई गाइडलाइंस आने के बाद केजरीवाल सरकार का यह फैसला काफी चौंकाने वाला है। यूजीसी की रिवाइज्ड गाइडलाइंस के मुताबिक सभी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों के लिए 30 सितंबर तक यूजी और पीजी कोर्सेज के फाइनल ईयर/सेमिस्टर की परीक्षाएं कराना अनिवार्य है। हालांकि दिल्ली ऐसा पहला राज्य नहीं है जिसने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में सभी परीक्षाएं रद्द करने का ऐलान किया है। 6 जून को यूजीसी की रिवाइज्ड गाइडलाइंस जारी होने से कई दिन पहले राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारें भी अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले विश्वविद्यालयों में सभी परीक्षाएं रद्द कर चुकी हैं।
सिसोदिया ने कहा, ‘यूनिवर्सिटी एग्जाम पर फैसला लेने का मामला काफी पेचीदा था। जिस सेमिस्टर की परीक्षाएं लेनी हैं, कोरोना महामारी व लॉकडाउन की वजह से उसकी पढ़ाई ही नहीं हो सकी है। दिल्ली सरकार का मानना है कि जिस सेमिस्टर को पढ़ाया ही नहीं गया है, उसकी परीक्षा करना मुश्किल है। दिल्ली सरकार का मानना है कि इस अभूतपूर्व समय में अभूतपूर्व निर्णय लिए जाने जरूरी हैं।’
उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘दिल्ली राज्य की सभी यूनिवर्सिटीज़ में आगामी परीक्षाएं कैंसल की जाएंगी। सभी यूनिवर्सिटीज़ के सेमिस्टर और टर्मिनल एग्जाम कैंसल किए जाएंगे। फाइनल ईयर की परीक्षाएं भी नहीं होंगी। फर्स्ट ईयर, सेकेंड ईयर या थर्ड ईयर, कोई भी परीक्षा दिल्ली सरकार के तहत आने वाले विश्वविद्यालयों में नहीं ली जाएगी। सभी यूनिवर्सिटीज़ को कहा गया है कि बिना लिखित परीक्षा कराए पिछली परीक्षाओं के आधार पर या अन्य मूल्यांकन मापदंड़ों के आधार पर बच्चों को प्रमोट करें।’
उन्होंने कहा, ‘कोरोना महामारी की स्थिति में परीक्षाएं नहीं कराई जा सकतीं। लेकिन स्टूडेंट्स ने तीन चार साल मेहनत की है, उन्हें डिग्री की जरूरत है। नौकरी के लिए उन्हें डिग्री मिलनी चाहिए। बहुतों को आगे पढ़ाई के लिए एप्लाई करना होगा। उनकी डिग्री रोककर रखना उनके साथ अन्याय होगा।’
UGC ने की थी सभी राज्यों से फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा कराने की अपील
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव प्रो. रजनीश जैन ने गुरुवार को सभी राज्यों से अपील की थी कि वह अपने यहां के सभी विश्वविद्यालयों के फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा जरूर कराएं। उन्होंने कहा था, ‘हमें पता चला है कि कई राज्यों ने अपने यहां के विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं रद्द कर दी हैं। लेकिन देश में उच्च शिक्षा स्तर में एकरूपता होना बेहद जरूरी है। इसके लिए ही गाइडलाइंस स्वीकार की जाती हैं और उनका अनुसरण किया जाता है। उन राज्यों को भी यूजीसी की गाइडलाइंस माननी चाहिए और फाइनल ईयर की परीक्षाएं करानी चाहिए। अगर हम फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षाएं नहीं कराएंगे तो इससे उनकी डिग्री की वैधता पर एक सवाल उठता है। यूनिवर्सिटी और कॉलेज ऑनलाइन, ऑफलाइन या ब्लेंडेड किसी भी मोड से परीक्षाएं आयोजित कर सकते हैं। अगर कोई स्टूडेंट सितंबर में आयोजित होने वाली परीक्षाओं में नहीं बैठ पाता है तो यूनिवर्सिटी ऐसे छात्रों के लिए स्पेशल एग्जाम करवाएगी।’