मुंबई:महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), शिवसेना और कांग्रेस की गाठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी की सरकार चल रही है। बीच-बीच में गठबंधन की दरार की खबरें भी बाहर आती रहती है। इस बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में यह साफ कर दिया है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक है और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की नेतृत्व वाली सरकार अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी।
सामना के संपादकीय में कहा गया है कि फिलहाल जैसे बरसात की बौछार शुरू है, उसी तरह खबरों की भी बौछार जारी है। बौछार मतलब थोड़ा सा छिड़काव, तूफान आदि नहीं। राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार में विवाद है। साथ ही शिवसेना ने साफ कर दिया है कि ऐसी कोई बात नहीं है।
शिवसेना के मुखपत्र सामना का संपादकीय:
फिलहाल जैसे बरसात की बौछार शुरू है, उसी तरह खबरों की भी बौछार जारी है। बौछार मतलब थोड़ा सा छिड़काव, तूफान आदि नहीं। राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार में विवाद है। विवाद का रूपांतर एक तूफान के रूप में होगा, ऐसी बौछार चार-पांच दिनों से शुरू है। खबरों की बौछार भी उसी प्रकार से जारी है। सरकार के तीन प्रमुख दलों के बीच पट नहीं रही और कई निर्णयों पर खींचतान है। इसलिए शरद पवार शिष्टाचार हेतु ‘मातोश्री’ गए। तीन दलों में समन्वय के अभाव के पीछे बहुत कुछ शुरू होने की बात कही जा रही है। इन सारी बौछार वाली खबरों में तिलमात्र भी सच्चाई नहीं है।
शरद पवार वरिष्ठ नेता हैं। उनके प्रयास से राज्य में ठाकरे सरकार अवतरित हुई है। शरद पवार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिलते रहते हैं। इन मुलाकातों में हर बार शिष्टाचार कैसे होगा? किसानों, मेहनतकशों और सहकार क्षेत्र के मामलों को लेकर पवार मुख्यमंत्री से मिलते रहते हैं। इन मुलाकातों को अगर कोई ‘शिष्टाचार’ और ‘मध्यस्थता’ जैसे शब्दों से अलंकृत करता होगा तो ये अलंकार उन्हीं को मुबारक।
मुंबई पुलिस दल में तबादलों की गड़बड़ हुई और उन तबादलों के कारण अविश्वास का वातावरण सामने आया, ऐसा हमारे विरोधी दल के नेता देवेंद्र फडणवीस का कहना है। इसमें सच्चाई है, ऐसा नहीं लगता और इस संदर्भ में बात करने के लिए गृहमंत्री देशमुख पवार को लेकर ‘मातोश्री’ पहुंचे, ऐसा कहना और प्रकाशित करना मानसिक गड़बड़ी के लक्षण हैं। दो-चार तबादलों और प्रमोशन के विवाद से आघाड़ी की सरकारें गिरने लगीं तो देश की राजनीति एक कमजोर नींव पर खड़ी है, ऐसा समझना होगा। मुंबई के पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह एक जुझारू और कार्यक्षम अधिकारी हैं। इसलिए बौछार वाली खबरों के माध्यम से उन पर अनावश्यक टिप्पणी करने का कोई मतलब नहीं है। यदि विरोधी ऐसा कर रहे होंगे तो यह तुच्छ राजनीति साबित होगी। इसमें आनंद की बात यह है कि देवेंद्र फडणवीस की गाड़ी विरोधी दल नेता के रूप में पटरी पर आती दिख रही है। महाराष्ट्र का राजनीतिक माहौल उनके मन को अशांत करने वाला होगा, फिर भी उन्होंने इसे स्वीकार किया, ये अच्छा ही हुआ।
फडणवीस ने स्पष्ट किया, ‘हमें राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार को गिराने की कोई जल्दी नहीं है और यह सरकार हम कभी नहीं गिराएंगे। यह सरकार अंतर्गत विरोध के कारण ही गिरेगी।’ ऐसा विरोधी दल के नेता का कहना है। विरोधी दल नेता का कहना गंभीरता से लें तो इसमें एक बात साफ है कि सरकार गिराने की जल्दी नहीं है लेकिन सरकार अंतर्गत विरोध से गिरेगी, उन्होंने ऐसा भ्रमित विचार रखा है।
चीनी सेना गलवान घाटी से पीछे हट गई है। लेकिन सरकार गिराने की मुहिम से फडणवीस और उनके लोग पीछे हटने को तैयार नहीं। यह विचित्र है। सरकार के एक प्रमुख घटक दल कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहेब थोरात कहते हैं, ‘सरकार में किसी भी प्रकार का अंतर्विरोध नहीं है। चर्चा करके मामलों का निपटारा हो जाता है। विरोधी सपने न देखें।’
शरद पवार जैसे नेता कहते हैं कि सरकार 5 साल चलाएंगे। इसके बावजूद विरोधियों द्वारा अंतर्विरोध की करताल बजाने का धंधा शुरू ही है। यह करताल बजाने का समय है क्या? देश और राज्य में कोरोना के कारण परिस्थिति गंभीर है। चीन फिलहाल पीछे भले ही हट गया हो लेकिन कोरोना पीछे नहीं हटा है। देश पर कोरोना का संकट है। इसलिए इस लड़ाई में छोटी-मोटी हवा छोड़कर वातावरण में दुर्गंध फैलाने का काम कोई न करे। विरोधियों की दृष्टि में जो गड़बड़ी या अंतर्विरोध है, हकीकत में यह सरकार की जीवंतता के लक्षण हो सकते हैं। अगर उन्हें कुछ गलत या धुंधला दिख रहा है तो उन्हें अपनी आंखों की जांच करवानी चाहिए और चश्मे का नंबर बदलवाना भी एक उपाय है। इसमें विरोधी दल नेता देरी न करें।
राज्य को अच्छे विरोधी दल की आवश्यकता है। फडणवीस और दरेकर विधिमंडल के विरोधी दल नेता अब अपने काम अच्छे से करने लगे हैं। उनसे यही अपेक्षा है कि वे अपने पद की गरिमा का खयाल रखें। विरोधी दल नेता को संकटकाल में सरकार को सकारात्मक साथ देनी चाहिए। कहीं गलती होने पर उसे ठीक करके लोगों की सेवा हो और उन्हें सुविधा मिले, इसके लिए आगे आना चाहिए। लेकिन सरकार कोरोना को लेकर जो अनवरत काम कर रही है, उन कामों में सिर्फ कमियां निकालने की मुहिम न चलाएं। रोज वही रोना-गाना और कोरोना के संदर्भ में किए जा रहे कार्य पर टिप्पणी करना, इससे स्वास्थ्य तंत्र का मनोबल गिरता है। कभी सत्ता में रहे लोगों को यह बात समझनी चाहिए।
राहुल गांधी सैन्य दल का मनोबल तोड़ रहे हैं, ऐसा आरोप भाजपा के दिल्ली के नेता लगा रहे हैं। महाराष्ट्र में स्वास्थ्य और कोरोना सैनिकों के संदर्भ में विरोधी दल के नेता वैसा ही काम न करें। महाराष्ट्र को सुरक्षित रखने के मामले में विरोधियों ने सतत विरोध वाली नीति रखी तो इसे अंतर्विरोध कहना पड़ेगा।