मुंबई। आसींद राजस्थान से पंडित ने नेरुल (नवी मुंबई) में रह रही दुल्हन का विवाह चेंबूर मुम्बई) में बैठे दूल्हे से ऑनलाइन करवाया। 400 अतिथियों की साक्षी में विवाह संपन्न आमेट के चार्टर्ड अकाउंटेंट सलिल लोढ़ा के नेतृत्व व निर्देशन में विवाह संपन्न हुआ। ज़ूम ऐप्प पर ऑनलाइन पहली शादी । केलवा निवासी, मुंबई नेरुल प्रवासी श्रीमती सायरदेवी मदनलालजी कोठारी की सुपौत्री एवं श्रीमती चंदा डॉ. विनोद कोठारी की पुत्री सो. का. हर्षिता का विवाह सापोल निवासी, चेम्बूर प्रवासी सुशीलादेवी भंवरलाल जी सिंघवी के सुपौत्र एवं श्रीमती लाडी देवी गणपत जी सिंघवी के सुपुत्र मोहित जी सिंघवी के साथ कल शाम ९.४४ पर संपन्न हुआ।
जानकारी के अनुसार, लोक डॉउन की विकट परिस्थितियों की वजह से ऑनलाइन शादी का आयोजन करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। विवाह वाशी के अबोट होटल में निर्धारित था किंतु परिवार में कोरोना पॉज़िटिव आने से प्रसाशनिक स्वीकृति नही मिलने से दुल्हन के पिताजी जो स्वयं डॉक्टर है उन्होंने सूझबूझ का परिचय देते हुए इस विवाह को ऑनलाइन करने का तुरंत निर्णय लिया। इन्होंने दूल्हे के पिताजी श्री गणपत जी से बातचीत करके उन्होंने इस विपदा की घड़ी को उत्सव में तब्दील करने का सोच लिया। डॉक्टर साहब के साडू भाई श्री सुरेश जी रांका ने सरेरी/आसींद, भीलवाड़ा के पंडितजी दिनेश जी शास्त्री से इस विवाह बाबत चर्चा की। पंडित जी ने सुझाव दिया कि विधि विधान में स्वीकृत तरीके से इस विवाह को जहां दूल्हा और दुल्हन दूर दूर रहेंगे, सम्पन्न कर सकते है। प्राचीन काल मे जब राजा, सिपाही, व्यापारी या कोई भी सामान्य जन जब युद्ध वश या व्यापार वश वह अपरिहार्य कारणवश विवाह की निश्तिच तिथि पर गंतव्य स्थान पर नही पहुंच सकता था तो दूल्हे के प्रति स्वरूप खड़ग, तलवार या छड़ी को भिजवाया जाता था जिसके साथ दुल्हन सात फेरे लेती थी। सदियों पुरानी इस मान्य परंपरा को कोठारी परिवार व सिंघवी परिवार ने फिर से पुनर्जीवित करने का एक सफल प्रयास किया। इस ऐतिहासिक विवाह के साक्षी ऑनलाइन लगभग ४०० लोग बने।
सरेरी/आसींद, भीलवाड़ा से पंडित दिनेश जी शास्त्री ने विधि विधान द्वारा मंगल मंत्रोच्चार से विवाह सम्पन्न करवाया। वर श्री मोहित जी चेम्बूर से ओर वधू सौ. का. हर्षिता ने नेरुल से अपने नए जीवन की शुरुआत ऑनलाइन अपने परिवार गण, हितैषी गण और मित्रों की उपस्थिति में की। पारिवारिक जन की शुभकामनाओं के साथ नए इतिहास और नई यादों के साथ विवाह समारोह का समापन हुआ। CA सलिल जी लोढ़ा और श्रीमती यशा विजय जी हिरन ने इस विवाह का सफल संचालन किया। मामाजी श्री राजेन्द्र जी कुमठ पंडित जी के सहायक बने। दादाजी मदनलाल जी, मामाजी निर्मल जी कुमठ, फूफाजी मदन जी दुगड़, दादाजी शांतिलाल जी, चाचाजी डॉ कैलाश, जयंतीलाल और चाची करुणा कोठारी, मामाजी प्रवीण जी खरवड़, मासा जी सुरेश जी व अन्य ने वधु पक्ष से और नानासा तखतमल जी,फुफासा डॉ संपतजी एवं डॉ मनीष जी तातेड़, देवेंद्र जी बोहरा, CA कमलेश जी धाकड़ व अन्य ने वर पक्ष की और से डिजिटल/ प्रत्यक्ष रूप से विवाह में उपस्थित होकर अपनी शुभकामनाएं नव विवाहित दंपति को दी। विशेष बात की प्रशासन द्वारा निर्धारित गाइड लाइन को पुरी तरह पालन किया गया और कही भी 7 से 8 लोगो से ज्यादा को इकठ्ठा हो कर ज़ूम में शामिल होने की भी इजाज़त नही दी गयी। दोनों परिवारों में भी 10 से कम पारिवारिक स्नेहजन ही शामिल हुए । परिवार ने जूम ऐप के चाइनीज नहीं होने पर खुशी जाहिर की।
कोरोना काल में हुई अनोखी शादी! दुल्हा कहीं और, दुल्हन कहीं, अतिथि कहीं और लेकिन संपन्न हो गया विवाह
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