मुंबई: महाराष्ट्र में सरकारी दफ्तरों में मराठी भाषा को पूरी तरह से लागू करवाने के लिए राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने एक नया सर्कुलर जारी किया है। इसमें कहा गया है कि सभी कर्मचारी कामकाज के लिए मराठी भाषा का इस्तेमाल करेंगे। ऐसे नहीं करने वाले अधिकारी और कर्मचारी का इस साल का इन्क्रीमेंट रोक दिया जाएगा। यह विभाग फिलहाल मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पास है। शिवसेना शुरू से मराठी भाषा के इस्तेमाल का मुद्दा उठाती रही है।
सर्कुलर में यह कहा गया है
सभी सरकारी दफ्तरों, मंत्रालयों, डिविनजल दफ्तर और निकाय कार्यालयों में आधिकारिक इस्तेमाल के लिए लिखे जाने वाले पत्रों और अन्य संचार माध्यमों में सिर्फ मराठी भाषा का इस्तेमाल करना होगा। ऐसा ना करने पर कर्मचारियों को या तो चेतावनी दी जाएगी या फिर उसकी कॉन्फिडेन्शियल रिपोर्ट में इसकी एंट्री कर दी जाएगी या फिर उसका इन्क्रीमेंट एक साल के लिए रोक दिया जाएगा।
नियम तोड़ने वाले को जवाब देना पड़ेगा
सर्कुलर में आगे कहा गया है कि मामले में दोषी पाए जाने पर कर्मचारी को ठोस वजह के साथ स्पष्टीकरण देना होगा। सर्कुलर में कुछ सरकारी योजनाओं के विज्ञापनों और स्लोगन को हिंदी और अंग्रेजी में लिखे जाने को संज्ञान में लाया गया है। कहा गया है कि इस संबंध में पहले भी सर्कुलर जारी किए गए हैं लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है।
स्कूलों में मराठी भाषा पढ़ाना भी अनिवार्य किया
इससे पहले फरवरी में सरकार ने प्रदेश के हर स्कूल में 10वीं कक्षा तक मराठी भाषा पढ़ाना अनिवार्य कर दिया है। इस आदेश का उल्लंघन करने वाले स्कूल से एक लाख रुपए जुर्माना वसूलने का प्रावधान किया गया है। नए आदेश इसी सत्र 2020-21 से लागू किए जाएंगे।
कर्नाटक में मराठी भाषी लोगों के लिए कॉलेज खोलेगा महाराष्ट्र
महाराष्ट्र सरकार कर्नाटक के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले मराठी भाषी लोगों के लिए कोल्हापुर में एक मराठी मीडिएम कॉलेज खोलेगी। उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने कहा कि यह निर्णय पड़ोसी राज्य में रहने वाली मराठी भाषी आबादी की शैक्षिक जरूरतों को पूरा करने के लिए लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह नया राजकीय महाविद्यालय कोल्हापुर में शिवाजी विश्वविद्यालय का उप-केंद्र होगा। सामंत ने कहा कि कोल्हापुर जिला कलेक्टर प्रस्तावित कॉलेज के लिए पांच एकड़ भूमि मुहैया कराएंगे। इसके बाद सभी जरूरी आधिकारिक मंजूरी दी जाएंगी।