आदित्य तिक्कू।।
राजनीति में राजनेता का कोई स्तर नहीं होता, यह सुनते और कहते-कहते मैं 40 वर्ष का हो गया हूं। परंतु अब थक रहा हूं। कब तक यह कहते रहेंगे कि कोई स्तर नहीं होता? कब तक हम अपने दायित्व से आँखे मुंदे बैठे रहेंगे ? कब तक खामोशी की बांसुरी बजा के स्वयं को और राष्ट्र को धोखा देते रहेंगे? सोचिए, क्योंकि हमारी खामोशी हमारे राष्ट्र को कमज़ोर कर रही है। बाहर से किससे खतरा है, यह हम जानते हैं। परंतु देश के अंदर से जो दुश्मन देश का प्रवक्ता बनकर हमारे राष्ट्र व योद्धाओं के मनोबल पर अप्रत्यक्ष रूप से प्रहार कर रहे हैं। उसका मूल कारण यह है कि हमने मान लिया है कि राजनीति में राजनेता का स्तर नहीं होता। अन्यथा ऐसी स्थिति में कोई स्तरहीन राजनीति करने की तो दूर सोचने का भी सामर्थ्य नहीं जुटा पाता परंतु आज़ादी के नाम पर यहां के राजनेता चाइनीज़ प्रवक्ता बने बैठे हैं।
चीन सीमा विवाद पर राजनीतिक पार्टी कांग्रेस जिस तरह की घटिया बयानबाज़ी कर रही है वह शोभनीय तो बिल्कुल भी नहीं है। कांग्रेस के सहयोगी भी असहज हैं। कारण, शरद पवार का एक बयान जंहां पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। जाहिर सी बात है राजनीति से उनका आशय सस्ती राजनीति से ही है, जो कि कांग्रेस कर रही है। शरद पवार ने बिना किसी लाग-लपेट कांग्रेस को 1962 की भी याद दिलाई, जब चीन ने हमारे एक बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लिया था।
हमें यह हैरत की बात क्यों नहीं लगती कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते समय इस भू-भाग को हासिल करने की कोई कोशिश करने के बजाय चीन से चंदा लेना जरूरी समझा? हाल के दिनों में यह दूसरी बार है, जब शरद पवार ने कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी पर सवाल खड़े किये हैं। इसके पहले सर्वदलीय बैठक में भी उन्होंने नसीहत दी थी। हालांकि खुद कांग्रेस के नेता भी राहुल गांधी के रवैए से सहमत नहीं, लेकिन शायद वह अपनी गलती समझने को तैयार नहीं है। वह जिस तरह से यह साबित करने पर आमादा है कि चीन ने हमारी जमीन हथिया ली है और प्रधानमंत्री ने उसके समक्ष आत्म समर्पण कर दिया है, उससे यह जानना कठिन है कि वह किसके हितों की चिंता करने में लगे हुए हैं? किस राष्ट्र की सेना और जनता का आत्मबल कमज़ोर करने का प्रयास कर रहे है,यह सोचनीय है।
मेरी तो समझ से ही परे है, क्यों राहुल गांधी यह अहसास भी नहीं कर पा रहे हैं कि उनके उलूल-जुलूल बयान जनता को गुमराह करने और साथ ही सेना के मनोबल को गिराने व प्रभावित करने वाले साबित हो सकते हैं? क्या इससे अधिक अपयश की बात और कोई हो सकती है कि जब भारत सरकार चीन को उसकी हद में रहने के लिए चेता रही है। सेना को पूर्ण स्वतंत्रता दे रही है। भारत ने अत्याधुनिक एयर डिफेंस मिसाइलों को पूर्वी लद्दाख में तैनात कर दिया है। यदि चीन के किसी विमान ने एलएसी को पार किया तो इन मिसाइलों के जरिए उन्हें हवा में ही ध्वस्त किया जा सकता है। लेकिन राहुल गांधी भारत के प्रधानमंत्री की घेराबंदी करने में लगे हैं? गत दिवस भी उन्होंने यही काम कपिल सिब्बल और चिदंबरम को साथ लेकर किया था। उनकी ओर से यह भी कहा गया कि मोदी सरकार के पास कोरोना को परास्त करने की कोई योजना नहीं है।
आपके पास ऐसी कोई योजना है? क्या महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान में कोरोना को परास्त किया जा चुका है? क्या यह एक महज दुर्भाग्य नहीं है कि कांग्रेस ने पहले कोरोना महामारी से निपटने के लिए आवश्यक राजनीतिक एकजुटता को भंग किया और अब वह यही काम चीन की ओर से पेश चुनौती का जवाब देने के मामले में भी कर रहे हैं। महामारी व युद्ध के समय इस तरह का व्यवहार स्वीकार्य नहीं है। अपनी कुंठित मानसिकता से बाहर निकलने की आवश्यकता है। आप इंदिरा गांधी के पोता -पोती है यदि इस बात को अन्य सदस्यों को बताना पड़े, इससे ज्यादा अस्वीकृति क्या होगी। यह राष्ट्र का विषय नहीं है। विषय व विचार अब स्पष्ट हो रहे है राजनीति और राजनेता को धरातल पर आकर राष्ट्र निर्माण के लिए काम करना होगा ना की दुश्मन देश का प्रवक्ता बनकर चंदा लेकर सवाल एवं बाधा हमारे लिए ही उत्पन्न करना।