मुंबई: भारत वेल्थ क्रिएशन के मामले में सबसे रोचक दौर से गुजर रहा है। कमजोर रुपया, महंगे क्रूड ऑइल और इकॉनमी की तमाम घरेलू चुनौतियों के बावजूद इंडिया की वेल्थ क्रिएशन रेट ऑल टाइम हाई है। भारत के 831 लोगों के पास 1000 करोड़ रुपये से अधिक संपत्ति है और यह भारत की कुल जीडीपी का एक चौथाई है। इन 831 लोगों के पास 719 अरब यूएस डॉलर की संपत्ति है, जोकि भारत की जीडीपी (2,848 यूएस डॉलर) का 25 पर्सेंट है। यह खुलासा बार्कलेज हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2018 ने अपनी रिपोर्ट में किया है।
पिछले साल के मुकाबले अमीरों की इस सूची में 214 नए नाम शामिल हुए हैं और कई चौंकाने वाले नामों ने सूची में जगह बनाई है। रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन मुकेश अंबानी लगातार सातवीं बार इस सूची में पहले नंबर पर कायम हैं, वहीं ओयो के फाउंडर 24 वर्षीय रितेश अग्रवाल सूची के सबसे युवा नाम हैं। 831 की इस सूची में 306 नए नाम शामिल हुए हैं। 113 एेसे नाम हैं, जो सेल्फ मेड हैं और फर्स्ट जनेरेशन उद्यमी हैं। इतना ही नहीं एक दशक से वेल्थ क्रिएशन में राज कर रहे टेक्नो और फार्मा सेक्टर की जगह डिजिटल इकॉनमी सेक्टर ने अपना दम दिखाया है।
बार्कलेज प्राइवेट क्लाइंट के सीईओ सत्य नारायण बंसल कहते हैं, ‘भारत में वेल्थ क्रिएशन (संपत्ति निमार्ण) बहुत तेज गति से हो रहा है। अब सपंत्ति संचय करने में बहुत कम वक्त लगता है। संपत्ति अब परंपरागत लोगों के हाथ से निकलकर नई जनेरेशन के आंट्रप्रन्योर्स के हाथों में जा रही है। आने वाले 10 सालों में हम पाएंगे कि इंडिया के यंग और नेक्स्ट जेनरेशन आंट्रप्रन्योर्स फैिमली बिजनेस की जगह ले रहे हैं और स्टार्ट-अप्स वीसी हाउस बन रहे हैं।’
क्या देश की कुल संपत्ति में अमीर लोगों का भाग लगातार बढ़ रहा है? जवाब में सत्य नारायण बंसल कहते हैं, ‘हां, बढ़ रहा है लेकिन हमें उसे ग्रोथ और पहली पीढ़ी के आंट्रप्रन्योर्स की तेजी से बढ़ी भागीदारी के सापेक्ष देखना चाहिए। असल में वेल्थ क्रिएशन धीरे-धीरे डेमोक्रटाइज हो रहा है। हमारे देश में चुनौतियां और समस्याएं बहुत हैं तो संभावनाएं भी बहुत हैं। अब समस्या, संभावना और रिस्क कैपिटल मिलकर उद्यमियों को अवसर दे रही हैं।’ गौरतलब है कि इस लिस्ट में भारत के उन अमीरों की सूची होती है, जिनके पास 1000 करोड़ या इससे ज्यादा की संपत्ति है।
831 लोगों के पास भारत की कुल जीडीपी का 25 पर्सेंट

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