नई दिल्ली:तीन मूर्ति भवन में बीते पांच दशकों से चल रहे जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड (जेएलएनएमएफ) को वहां से हटाने के लिए शहरी विकास मंत्रालय ने नोटिस जारी किया है। नोटिस में 24 सिंतबर की तारीख बताई गई थी। मंत्रालय के मुताबिक इस बारे में जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड से उसे कोई जवाब नहीं मिला है और आगे की कार्रवाई नियमानुसार की जाएगी।
जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड की स्थापना 1964 में की गई थी और 1967 से इसका दफ्तर तीन मूर्ति भवन में चल रहा है। इसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। इस साल जून में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) ने जगह की कमी का मुद्दा उठाते हुए वहां से जेएलएनएमएफ को हटाने की बात कही थी। शहरी विकास मंत्रालय ने इसके बाद 11 सितंबर को जेएलएनएमएफ को नोटिस जारी किया था। एनएमएमएल का कहना है उनको अपनी लाइब्रेरी में जगह बढ़ानी है। पाठकों की भीड़ बढ़ रही है। यहां से जेएलएनएमएफ को हटाने के बाद ज्यादा जगह बन सकेगी।
नेहरू की धरोहर को कमजोर करने का प्रयास : जोया हसन
फंड के प्रशासक शक्ति सिन्हा की बातों से असहमत हैं। राजनीतिक विश्लेषक और फंड की न्यासी जोया हसन ने कहा कि खाली करने संबंधी नोटिस नेहरू की धरोहर को कमजोर करने के प्रयास का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘मंत्रालय को जवाब भेजा गया है और बताया गया है कि जेएनएमएफ का अवैध कब्जा नहीं है। यह संगठन 50 सालों से भी अधिक समय से है और किसी ने उसकी वैधता पर सवाल नहीं उठाया है। सूत्रों के मुताबिक फंड की ओर से मंत्रालय को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि तीनमूर्ति मार्ग पर स्थित इमारत में फंड का दफ्तर पूर्ण रूप से वैध है। यह इमारत 1967 से अब तक शहरी विकास मंत्रालय और नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी दोनों द्वारा प्रमाणित व मान्यता प्राप्त रही है। पत्र में यह दावा भी किया गया कि नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के साथ कई परियोजनाओं पर फंड से साथ काम किया है।
तीन मूर्ति भवन से जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड हटाने की तैयारी

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