मुंबई:बंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार (4 जून) को राज्य सरकार और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को एक हलफनामा दायर करके इस बारे में जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दिया कि कोविड-19 से जान गंवाने वाले मरीजों के शवों का किस तरह से निपटारा किया जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अमजद सैयद की एक पीठ भाजपा विधायक आशीष शेलार की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
शेलार ने याचिका में मध्य मुंबई के सायन अस्पताल में जिस तरह से शवों को रखा गया, उसको लेकर चिंता जताई है। शेलार ने अपनी याचिका में सरकार और निकाय प्राधिकारियों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि वे कोरोना वायरस के मरीजों के शवों को उन वार्ड में रखना तत्काल बंद करें, जहां संक्रमित मरीजों का इलाज किया जाता है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि अस्पताल के कई वीडियो सामने आए हैं जिसमें मृतकों के शव बेड और जमीन पर रखे दिखाए गए हैं। उन्होंने दावा किया कि ये शव उन लोगों के ठीक पास रखे गए हैं, जिनका संक्रमण के लिए इलाज चल रहा है।
कोर्ट ने महाराष्ट्र से निजी एंबुलेंस पर जवाब मांगा
एक अन्य मामले में बंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार (4 जून) को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि वह कोरोना वायरस फैलने के बीच निजी एंबुलेंस की सेवा लेना चाहती है या नहीं। अदालत ने सरकार को जवाब देने के लिए शुक्रवार तक का वक्त दिया है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अमजद सईद की खंडपीठ भाजपा के पूर्व सांसद किरीट सोमैया द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी,जिसमें मुंबई में एंबुलेंसों की कमी पर चिंता जताई गई है।
याचिका में दावा किया गया कि महानगर में 20 मार्च तक तीन हजार एंबुलेंस थे, जिनमें निजी एंबुलेंस भी शामिल हैं। लेकिन कोरोना वायरस फैलने के बाद से उपलब्ध एंबुलेंस की संख्या घटकर 100 के करीब रह गई है। इसमें कहा गया कि महानगर में कोविड-19 के मामले जहां लगातार बढ़ रहे हैं, वहीं जरूरतमंद रोगियों के लिए एंबुलेंस की कमी है।