– भदोही में महिलाओं की रोज़ी- रोटी का साधन बनी मनरेगा
– महिलाओं ने कहा मुख्यमंत्री योगी गरीबों के लिए कर रहे काम
प्रभुनाथ शुक्ल/भदोही। प्रवासी मजदूरों और महिलाओं के लिए मनरेगा एक उम्मीद और नई सुबह लेकर आयीं है। कोरोना संक्रमण की वजह से मुम्बई, सूरत, दिल्ली जैसे शहरों से पलायित होकर आए प्रवासी मजदूरों के लिए संजीव बनी है। गाँव की महिलाएं भी चूल्हे- चौके की चाहार दीवारी की दहलीज से निकल कर ख़ुद के हाथों में फावड़े और तपेले उठा लिए हैं।
योगी सरकार प्रवासी मजदूरों को लेकर बेहद संजीदा है उसका असर गाँवों में दिखने लगा है। भदोही जिले में हजारों की तादात में आए प्रवासी मजदूर अपनी मेहनत से मनरेगा के ज़रिए अपनी जिंदगी सवार रहें हैं। पुरुषों के साथ महिलाएं भी मनरेगा में काम कर रहीं हैं। गाँवों में भी सोचने का नज़रिया बदला है। कोरोंना और लॉकडाउन ने स्थिति को और अधिक बदल दिया है। कभी चूल्हे चौके तक सीमित रहने वाली महिलाएं आज मनरेगा में काम कर रहीं हैं। प्रवासी मजदूरों को भी जाबकार्ड उपलब्ध कराया गया है।
जिले के हरीपुर गाँव पंचायत में वरणा नदी के खुदाई का कार्य तेजी से चल रहा है। यहाँ काफी संख्या में गाँव की महिलाएं मनरेगा में अपनी जिंदगी संवार रहीं हैं। संगीता गौड़ बताती हैं कि उनका पति बीमार है। उसे बोलने तक की हिम्मत नहीँ है। कोरोना की वजह से हमारे दो बेटे घर आए हैं। उनकी रोज़ी – रोटी छिन गई है। यह स्थिति कब तक रहेगी भरोसा नहीँ। जिंदगी तो चलानी है। हम अपने बच्चों के साथ वरुणा नदी की खुदाई में लगे हैं। मनरेगा हमारे परिवार की आजीविका की साधन बन गई है। 202 रुपए मिलते हैं। बस इसी के भरोसे जिंदगी है।
वरुणा की खुदाई में लगी ज़रीना बेगम, सितारा बानो और राज कुमारी भी कहती हैं कि मनरेगा में मुझे काम मिला है। घर- परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ परिवार के साथ काम करते हैं। काम नहीँ करेंगे तो खाएँगे कहाँ से। योगी सरकार मनेगा को चला कर बढ़िया किया है। सरकार गरीबों का भला कर रहीं है। लेकिन महिलाओं के लिए मनरेगा में और पैसा बढ़ाया जाय। महिलाओं का कहना था कि परिवार के जो लोग परदेश से भागकर आए हैं उन्हें भी काम मिला है। अच्छी योजना है। लेकिन बारिश में काम न मिलने पर मुश्किल होगी।
हरीपुर की ग्राम प्रधान महिमा मिश्र के पति संतोष मिश्र ने बताया कि तकरीब 50 से अधिक महिलाएं हैं जिन्हें वरुना नदी के खुदाई में काम मिला है। महिलाओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है। काम में काफी लगन भी है। मनरेगा मजदूरों की जो मज़दूरी बनती है उसे सीधे खाते में भेज दिया जाता है। सरकार ने कोरोना काल में मनरेगा का बजट बढ़ा कर महिलाओं और प्रवासी मजदूरों के लिए अच्छा काम किया है।