नई दिल्ली:आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद अफगानिस्तान में अपना विस्तार कर रहे हैं। ये काबुल में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान की गहरी रणनीति के हिस्सा है। पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) लश्कर और जैश के आतंकवादियों को इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत में घुसपैठ करवा रही है, जो अफगान सुरक्षा बलों के प्रमुख अब्दुल्ला ओरकजई उर्फ असलम फारूकी और उनके शीर्ष कमांडरों की गिरफ्तारी के बाद कठघरे में है।नफारूकी को मौलवी मोहम्मद ने आईएसकेपी के नए प्रमुख के रूप में तैनात किया था। काबुल में आतंकवाद विरोधी अधिकारियों ने कहा कि मौलवी मोहम्मद के लश्कर-ए-तैयबा से भी गहरे संबंध हैं।
दिल्ली में एक काउंटर-टेरर अधिकारी ने कहा कि आईएसआई अधिकारियों ने पाकिस्तान के रावलपिंडी में तैयार ब्लूप्रिंट के हिस्से के रूप में अपने संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए वित्तीय और लॉजिस्टिक सपोर्ट नेटवर्क बनाया है। हाल ही में शीर्ष लश्कर और तालिबान गुटों के साथ कुनार प्रांत अहमदुल्ला में तालिबान द्वारा बुलाई गई बैठक में आईएसआई के अधिकारी भी मौजूद थे।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों की निगरानी टीम ने 6,000-6,500 विदेशी लड़ाकों की भूमिका को उजागर किया जिन्हें अफगानिस्तान में शामिल किया गया था।
अफगानिस्तान के विशेष प्रतिनिधि सुलह ज़ाल्मे ख़लीज़ाद के लिए तालिबान और संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिनिधि के बीच 29 फरवरी को सुलह के बाद काबुल में आतंक की पाकिस्तान की ये भूमिका सामने आई है।