नई दिल्ली: सरकार आखिरकार ट्राइ सर्विस ऑर्गनाइजेशन के गठन को मंजूरी देने की दिशा में बढ़ रही है जो कि आधुनिक समय की जंग में साइबर स्पेस, स्पेस और स्पेशल ऑपरेशन जैसे महत्वपूर्ण डोमेन को संभालेंगे। हालांकि, साथ ही व्यापक हथियारों के अधिग्रहण के प्रवाह के लिए अलग से रक्षा खरीद की इकाई बनाने के प्रस्ताव को लगभग अस्वीकार कर दिया गया है।
रक्षा मंत्रालय को केंद्रीय रक्षा खरीद संस्थान बनाने की अनुशंसा मिली थी। मंत्रालय को यह फिलहाल ‘अव्यवहारिक और असंभव’ लग रहा है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, हालांकि सभी तीन प्रस्तावित एजेंसियां नहीं तो कम से कम दो साइबर स्पेस, स्पेस और स्पेशल ऑपरेशन को संभालेंगी, जिसे जल्द पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमिटी मंजूरी देगी। मोदी 28 सितंबर को जोधपुर एयरबेस में संयुक्त कमांडर कॉन्फ्रेंस को संबोधित करेंगे।
पिछली बार सैनिकों को ऐसा संबोेधन पिछले साल जनवरी में देहरादून स्थित इंडियन मिलिटरी अकैडमी में हुआ था, उस दौरान पीएम मोदी ने सेनाओं के और बेहतर तरीके से मिलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया था। भारत को निश्चित रूप से ट्राइ-सर्विस चीफ और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की जरूरत है जो कि तीनों सेनाओं में लॉजिस्टिक्स, प्लानिंग, रक्षा खरीद और प्रशिक्षण में बेहद जरूरी ऊर्जा भर सके, जो कि अक्सर अलग दिशाओं में चलते हैं।
दरअसल, असली प्रस्ताव पूरी तरह से लेफ्टिनेंट जनरल (तीन-स्टार जनरलों) के अधीन था जो कि स्पेस, साइबर स्पेस और अप्रकट युद्ध की बढ़ती चुनौतियों (विशेषकर चीन के साथ) को संभालते। इस वजह से तीनों सेनाओं में व्यापक निवेश हो रहा है। लेकिन यह धीरे-धीरे सिमट कर उससे छोटी ट्राइ सर्विस एजेंसी में तब्दील हो गई जो मेजर जनरल (दो स्टार) के अधीन होगी, जैसा कि हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ने ऐसी रिपोर्ट दी थी।
साइबर स्पेस, स्पेस, स्पेशल ऑपरेशन को संभालेंगे एकीकृत सैन्य एजेंसी

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