मुंबई। साध्वी श्री अणिमा श्रीजी एवं साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी के सांनिध्य में 216 वां भिक्षु चरमोत्सव का भव्य कार्यक्रम पब्लिक स्कूल समायोजित हुआ । साध्वी श्री अणिमाश्रीजी अपने प्रेरक उदबोधन में कहा अनुशासन के सूत्रधार आचार्य भिक्षु ने जीवन के अंतिम पल तक मर्यादा अनुशासन विनय व समर्पण के अमृत से धर्मसंघ के कण कण को सींचा। उस लौहपुरूष ने जीवन पथ में आनेवाली हर बाधा को साहस से पार ही नही किया। बल्कि नए मार्ग निर्माण भी किया। वह आत्मज्ञ पुरूष जीवन के हर मोड़ पर सत्य पर अगिड़ , अविचल रहा। उनके जीवन की पवित्रता भावो की निर्मलता और व्यवहार का माधुर्य आगत , अभ्यागत हर व्यक्ति का अद्भुत स्पदन भर देता है। सचमुच उनका जीवन अनेक विशेषताओ का महापुरुष है। उनकी सहिष्णुता हमारे जीवन की समझ बने जीवन शैली बने और हम भी अध्यात्म के उन्नयन की दिशा में प्रस्थिति रहे यही काम्य है।
साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी श्रद्धामय उदगार व्यक्त करते हुए कहा अतिशय पुण्याई के अध्यक्ष भिक्षु तेज पुरुष , आलोक पुरूष, व प्रकाश पुरुष थे। उन्होंने आध्यात्मिक जगत में शुद्ध धर्म का आलोक दिया। महामना आचार्य भिक्षु तेरस को धरती पर आए और तेरस को ही दुनिया से बिदा हो गए । महाप्राण आचार्य भिक्षु को श्रद्धानमन । साध्वी कर्णिका श्रीजी ने कहा सत्य सिन्धुत्सु आचार्य भिक्षु ने सत्य मार्ग पर कदम बढ़ाया तो विरोधियों में तूफान मचल गया। साध्वी सुधाप्रभाजी ने मंच संचालन करते हुए कहा आचार्य भिक्षु के सामने ज्ञान का सागर लहलहा रहा है। उसके तल में सत्य के मोती भरे हुए थे। उन मोतियों को बटोरने के लिए धैर्य और पुरुषार्थ का दीप जलाया। साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने मंगल संगान किया। साध्वी स्मतव्यशाजी ने सुमधुर गीतिका संगान कर परिषद को भिक्षु मय बना दिया। संयोजिका वंदना वागरेचा, अशोक बरलोट, ट्रस्ट अध्यक्ष किशनलाल डागलिया, मनोज ने भावो की प्रस्तुति दी। दक्षिण मुंबई युवक परिषद व महिला मंडल साध्वी श्री आणिमाश्रीजी द्वारा रचित गीत की सुंदर प्रस्तुति दी। यह जानकारी तेयुप दक्षिण मुंबई के मीडिया प्रभारी नितेश धाकड़ ने दी।
कालबादेवी तेरापंथ भवन में भिक्षु चरमोत्सव का आयोजन हुआ

Leave a comment
Leave a comment