नई दिल्ली:वह सही मायनों में ‘भालाबली’ हैं… छह फीट लंबे कद और लहराते बालों के साथ क्लासिक ग्रीक योद्धा के अंदाज में जब वह हाथों में जैवलिन लिए दौड़ते हैं, तो देश को हर बार उनसे गोल्ड मेडल से कम की उम्मीद नहीं होती। हम बात कर हैं चैंपियन जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा की, जिन्होंने देश में इस खेल को नए मुकाम पर पहुंचा दिया है। एक ही साल में पहले कॉमनवेल्थ गेम्स और फिर एशियाड में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने हर देशवासी को गौरवान्वित होने का अनूठा अवसर दिया है। इस दौरान उन्होंने एशियाड में अपना ही नैशनल रेकॉर्ड तोड़ते हुए 88.06 मीटर भाला फेंककर नया इतिहास रचा।
किसी भी ऐथलीट की जिंदगी का सबसे बड़ा सपना ओलिंपिक गोल्ड मेडल छोड़कर और कुछ नहीं हो सकता और नीरज चोपड़ा के लगातार बेहतर होते प्रदर्शन से ऐसा ही लग रहा है कि उनका भाला अब तोक्यो ओलिंपिक 2020 में सोने के तमगे को भी भेद कर ही रहेगा।
आत्मविश्वास से भरे नजर आ रहे नीरज का कहना था कि भले ही अभी उन्होंने 88 मीटर की सीमा को पार किया हो, लेकिन उनके जैवलिन की जद से 100 मीटर का लक्ष्य भी असंभव नहीं है। हालांकि फिलहाल उन्होंने ओलिंपिक के लिए अपना कोई टारगेट तय नहीं किया है और वह बिना किसी दबाव के अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश करेंगे।
जैवलिन में 100 मीटर का टारगेट मेरी जद से दूर नहीं: नीरज चोपड़ा

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