नई दिल्ली:प्रीमियम की पूरी रकम जमा नहीं होने के बावजूद सड़क हादसे में शामिल वाहन का इंश्योंरेंस करने वाली कंपनी मुआवजा देने से मना नहीं कर सकती। हाईकोर्ट ने कंपनी की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि वाहन मालिक ने बीमा का पूरा पैसा नहीं चुकाया है।जस्टिस सुनील गौर ने फैसले में कहा है कि वाहन मालिक भले ही प्रीमियम की पूरी रकम जमा नहीं कराई है, लेकिन पीड़ितों को मुआवजा बीमा कंपनी ही देगी। उन्होंने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को याचिकाकर्ता ऑटो चालक विजय को 44 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। साथ ही, मुआवजे की रकम पर 9 फीसदी ब्याज का भी भुगतान करने का निर्देश दिया है।
हालांकि, हाईकोर्ट ने कंपनी को वाहन मालिक से मुआवजे की रकम का 11.5 फीसदी हिस्सा कानूनी तरीके से वसूलने की छूट दी है। हाईकोर्ट ने यह छूट इसलिए दी है क्योंकि वाहन मालिक ने बीमा प्रीमियम की पूरी रकम जमा नहीं कराई है।
निजी कार का टैक्सी के रूप में इस्तेमाल
बीमा कंपनी ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि दुर्घटना में शामिल वाहन निजी कार के तौर पर पंजीकृत थी। मगर, इस वाहन का इस्तेमाल टैक्सी के तौर पर हो रहा था। कंपनी ने इसे बीमा शर्तों का उल्लंघन बताते हुए कहा कि हादसे के शिकार लोगों को मुआवजा देने की जिम्मेदारी उनकी नहीं है। हालांकि, हाईकोर्ट ने कंपनी की इस दलील को भी ठुकरा दिया।
हादसे में याचिकाकार्ता 100 फीसदी दिव्यांग हो गया
अपने ऑटो में परिवार के साथ विजय फरवरी 2014 में जा रहा था। इस दौरान सुल्तानपुरी में हरियाणा नंबर की एक कार ने ऑटो में टक्कर मार दी। हादसे में विजय की पत्नी की मौत हो गई, जबकि विजय पूरी तरह से दिव्यांग हो गए। वाहन दुर्घटना दावा पंचाट ने इस मामले में बीमा कंपनी को करीब 50 लाख रुपये नौ फीसदी ब्याज के साथ मुआजा देने का निर्देश दिया था। इसके खिलाफ कंपनी ने अपील दाखिल की थी।
बीमे के प्रीमियम की अधूरी जमा राशि पर भी पूरा मुआवजा देना पडे़गा – कोर्ट
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