नयी दिल्ली। लोकतांत्रिक जनता दल के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने देश में सिर पर मैला ढोने की प्रथा पर गहरा दु:ख व्यक्त करते हुये आज कहा कि सरकार को इस प्रथा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना चाहिये तथा सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई नयी तकनीक से की जानी चाहिये।
श्री यादव ने यहाँ जारी बयान में सरकार पर इस वर्ग के लोगों के प्रति संवेदनशील नहीं होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि जनवरी 2017 से अब तक सिर पर मैला ढोने वाले 300 लोगों की मौत हो चुकी है। हर पाँचवें दिन इस काम में लगे एक व्यक्ति की मौत होती है। उन्होंने कहा कि सरकार इस संबंध में कोई आँकड़े नहीं जारी कर रही है जबकि राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग ने मौत को लेकर ये आँकड़े दिये हैं। इनमें सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करने वाले कर्मचारी शामिल नहीं हैं।
श्री यादव ने कहा कि देश में काफी प्रगति हुई है और कुछ बीमारियों का उन्मूलन भी हुआ है। सरकार पिछले चार साल से स्वच्छ भारत अभियान भी चला रही है, लेकिन सिर पर मैला ढोने की प्रथा पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है और न ही सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए किसी नयी तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। सरकार बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन जमीन पर नतीजा कुछ नहीं निकलता है।
उन्होंने कहा कि हाल में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान एक दिन में छह लोगों की मौत हो गयी जो दुभाग्यपूर्ण है। केन्द्र सरकार कई मुद्दों को राज्य का विषय बता कर अपनी जिम्मेदारी से बच निकलती है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत पिछले चार साल से बजट में बड़े पैमाने पर आवंटन किया जा रहा है, लेकिन स्वच्छता कहीं नहीं है। श्री यादव ने कहा कि सफाई कार्य में लगे लोगों की बढ़ती मौत से स्पष्ट है कि सरकार गरीबों, दलितों और पिछड़ों को लेकर गंभीर नहीं है।
सैप्टिक टैंक साफ करने वाले कर्मचारियों की मौत दुखी शरद यादव ने उठाए सवाल
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