माता रानी के नौ रूपों की पूजा बड़े ही धूम-धाम ,विधि-विधान एवं श्रद्धा भाव के साथ नवरात्र में किया जाता है | चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को माता के शैल पुत्री रूप की पूजन के साथ ही वासन्तिक नवरात्र प्रारम्भ होता हैऔर नवम् स्वरुप माता सिद्धिदात्री के पूजन अर्चन के बाद कन्या भोज करके दशमी तिथि में व्रत के पारण के साथ समाप्त होता है।
शुभ चौघड़िया
सुबह 6 बजे से 07:30 बजे तक। शुभ
सुबह 10:30 बजे से 12 बजे तक चार
दिन में 12 बजे से 1:30 बजे तक लाभ
04:30 से 6:00 बजे शाम तक
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद् पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि 25 मार्च 2020 दिन बुधवार से प्रारम्भ वासन्तिक नवरात्र का समापन नवमी तिथि 2 अप्रैल 2020 दिन गुरुवार को माता के नवम् स्वरुप माता सिद्धिदात्री के पूजन अर्चन हवन के बाद 3 अप्रैल 2020 दिन शुक्रवार की सुबह पारण के साथ सम्पन्न होगा।
ज्योतिर्विद् पं दिवाकर त्रिपाठी ने बताया कि नवरात्र व्रत अनुष्ठान की समाप्ति से सम्बंधित हवन आदि से सम्बंधित समस्त विधि-विधान नवमी तिथि के अंदर ही संपन्न किया जाएगा | इस बार नवमी तिथि का मान 1 अप्रैल 2020 दिन बुधवार की रात 9 बजकर 50 मिनट से आरम्भ होकर ,2अप्रैल 2020 दिन गुरुवार की रात 8 बजकर 46 मिनट तक विद्यमान है ,अतः इसी अवधि में हवन आदि एवं व्रत समाप्ति से सम्बंधित समस्त विधि-विधान कर लिए जाएंगे ।
2 अप्रैल 2020 गुरुवार की ग्रह स्थिति चंद्रमा-मिथुन राशि मे सुबह 08:06 बजे तक उसके बाद कर्क राशि मे। सूर्य-मीन। मंगल,शनि,गुरु – मकर राशि मे । बुध-कुम्भ राशि मे। शुक्र-वृष राशि मे। राहु-मिथुन एवं केतु-धनु राशि मे। नवरात्र से सम्बंधित यज्ञ ,हवन 2 अप्रैल को वैसे तो दिन भर किया जा सकता है परंतु-राहुकाल 1:30से 3 बजे तक है अतः नही किया जाना ठीक होगा। ज्योतिर्विद् ने बताया कि चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को प्रभु श्री राम चन्द्र जी का जन्म दिन होने के कारण विश्वविश्रुत पर्व रामनवमी भी 2 अप्रैल 2020 दिन गुरुवार को ही मनाया जाएगा | गुरुवार के दिन यह पर्व पड़ने के कारण अति शुभफल दायक है ।