नई दिल्ली। अफगानिस्तान में आईएस की शक्ल में पाक समर्थित आतंकी समस्या पैदा कर रहे हैं। इस मामले में भारत का रुख रूस, ईरान और कुछ हद तक अफगानिस्तान से भी अलग है। रूस, ईरान व कुछ अन्य देशों ने आईएस को बड़ी चुनौती के रूप में पेश किया है। अफगानिस्तान ने भी पिछले कुछ महीनों में दाएश (आईएस) की उपस्थिति बढ़ने को चुनौती बताते हुए इससे लड़ने की बात कही है। लेकिन भारत का मानना है कि आईएस लड़ाकों की आड़ में 70 फीसदी आतंकी पाकिस्तानी एजेंसियों द्वारा समर्थित हैं। असल मुद्दे से ध्यान बंटाने के लिए आईएस को हवा दी जा रही है।
आईएस की मौजूदगी सीमित
भारतीय एजेंसियों के मुताबिक आईएस से ज्यादा अफगानिस्तान में तालिबान का खतरा बना हुआ है। हालांकि भारतीय एजेंसियों ने स्वीकार किया है कि सीरिया और ईराक से कुछ लड़ाके अफगानिस्तान में पहुंचे हैं। लेकिन इनकी मौजूदगी बहुत व्यापक स्तर पर नहीं है।
ध्यान बंटाने की कोशिश
सूत्रों ने कहा कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भी आईएस की चुनौती से भारत को अवगत कराया है। रूस, ईरान ने भी पिछले दिनों इसी तरह के इनपुट दिए गए हैं। रूस आईएस को खतरा बताकर तालिबान से बातचीत शुरू करना चाहता है। जबकि भारतीय एजेंसियों का मानना है कि इराक और सीरिया से आए आईएस लड़ाकों की संख्या बहुत कम है। वे सत्ता को चुनौती देने की स्थिति में नहीं हैं। आईएस के नाम पर अफगानिस्तान में ज्यादातर लड़ाके ऐसे हैं जो पाक एजेंसियों द्वारा समर्थित हैं।
भारत तालिबान को मान रहा बड़ा खतरा
तालिबान को लेकर विभिन्न देशों के रुख में बदलाव से इतर भारत ने अपने रुख में बदलाव नहीं किया है। भारतीय एजेंसियों का मानना है कि तालिबान को राजनीतिक मान्यता नहीं दी जा सकती। वह अभी भी अफगानिस्तान में सबसे बड़ा खतरा है। भारत ने ऐसी किसी वार्ता में भी शामिल होने से इनकार किया है जिसमें तालिबान शामिल हो। माना जा रहा है कि भारत ने अपने रुख पर अफगानिस्तान को भरोसे में लेने का प्रयास किया है।
IS लड़ाकों की शक्ल में पाक एजेंसियों द्वारा समर्थित आतंकी
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