नई दिल्ली।केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक बार में तीन तलाक (तलाक ए बिद्दत) को दंडनीय अपराध बनाने संबंधी अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को लोकसभा की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन यह राज्यसभा में लंबित है। वहां पर सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है।
मोदी कैबिनेट ने एनडीए सरकार की तरफ से पहली बार करीब दस महीने पहले सदन में बिल लाने के बाद इस पर अध्यादेश लाकर उसे मंजूरी दी है। तीन तलाक वह इस्लामी प्रथा है जिसमें मुस्लिम पुरूष तीन बार तलाक बोलकर उसे तलाक दे देता था। जिसे पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष इस प्रथा पर रोक लगा दी थी। यह प्रथा अब भी जारी है इसलिए इसे दंडनीय अपराध बनाने की खातिर विधेयक लाया गया।
केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने का यह सिलसिला लगातार जारी है। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद अब तक 201 मामले तलाक के सामने आ चुके हैं। रविशंकर प्रसाद प्रसाद ने कहा- इस अध्यदेश की खास बात ये है कि पुलिस तभी कार्रवाई करेगी जब पीड़ित पत्नी या उनके किसी करीब रिश्तेदार की तरफ से एफआईआर कराई गई हो।
तीन तलाक पर बीजेपी कर रही है राजनीति-कांग्रेस
उधर, केन्द्र सरकार के इस फैसले के बाद विपक्ष ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने तीन तलाक बिल पर अध्यदेश को मोदी कैबिनेट की मंजूरी के बाद केन्द्र सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी तीन तलाक बिल को फुटबॉल बनाना चाहती है।
उन्होंने अपने हमले को और तेज करते हुए कहा कि मोदी सरकार सही मायने में नहीं चाहती है मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिले। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी।
गौरतलब है कि तीन तलाक बिल राज्यसभा में दो सत्र से लंबित पड़ा हुआ है। कांग्रेस और अन्य दलों ने इस पर अपना विरोध कर उसे राज्यसभा में पास होने से रोक दिया है।
तीन तलाक पर मोदी सरकार का बड़ा फैसला, अध्यादेश को दी मंजूरी
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