दुकानदारी में रखे ईमानदारी : आचार्य महाश्रमण
17-03-2020, मंगलवार, आंधव , सोलापुर, महाराष्ट्र। अहिंसा यात्रा द्वारा जन-जन में सद्भावना, नैतिकता एवं नशामुक्ति की अलख जगाने वाले शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी का आज प्रातः दिधेवाड़ी से मंगल विहार हुआ। सोलापुर जिले में यात्रायित पूज्य गुरुदेव लगभग 10.8 किलोमीटर का विहार कर आज आंधव गांव में कै. दत्ता राव भाकरे विद्यालय में पधारे।
मुख्य प्रवचन सभा के दौरान अमृतदेशना देते हुए आचार्य श्री ने कहा जैन धर्म में 18 पाप कहे गए हैं। उनमें जो तीसरा है वह है अदत्तादान पाप अर्थात चोरी नहीं करना। व्यक्ति सोचें जो वस्तु मेरी नहीं दूसरे की है उसको मैं क्यों चोरी की भावना से उठाऊं। दुर्भावना से किसी दूसरे की वस्तु उठाना बुरा कार्य है। परधन को तो धूली के समान कहा गया है। जो मनुष्य चोरी से विरत है उसका सफलता भी वरण करना चाहती है। समृद्धि चलकर उसके पास आती है। ईमानदार व्यक्ति यहां भी सुखी और आगे भी सुखी रहता है। व्यक्ति को जीवन में कभी भी चोरी नहीं करनी चाहिए।
आचार्य श्री ने आगे कहा कि व्यक्ति दुकानदारी में भी इमानदारी रखें। कोई धोखा नहीं, बेईमानी नहीं। वह दुकान निर्मल होती है जहां कोई चोरी, बेईमानी नहीं। दुकान में भी धर्म रहे। जहां इमानदारी रहती है वहां विश्वास होता है। विश्वसनीयता प्राप्त होना एक प्रकार से जीवन की सफलता है। गलत काम ना करने करने का संकल्प अपने आप में धर्म है। व्यक्ति जीवन में ईमानदारी का पालन करते हुए आचरण अच्छा बनाएं ।