मुंबई। विश्व विश्रुत आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वीश्री निर्वाणश्रीजी आदि ठाणा-6 के पावन सान्निध्य में धुलिया में विकास महोत्सव हर्षोल्लासपूर्वक से मनाया गया। उपस्थिति जनसमुह को सम्बोधित करते हुए विदुषी साध्वीश्री निर्वाणश्री जी ने कहा- विकास और आचार्य श्री तुलसी परस्पर पर्यायवाची है। उन्होंने संघ से एक ऐसी विकासयात्रा प्रारंभ की जो जीवन के नौवे दसक तक अनवरत चली । यह उत्सव उसकी स्मृति का छोटा प्रयास है।
साध्वीश्री डॉ योगक्षेमप्रभाजी ने ओजस्वी वक्तव्य में कहा– गुरुदेव तुलसी ने जो विकास की वर्णमाला रची, वह अन्तहीन है। उन्होंने संघ को भरपूर दिया। व पूरा जीवन मानवता के लिए जीया। महासभा से खान्देश के आंचलिक प्रभारी सुरजमलजी सूर्या, खान्देश सभा के अध्यक्ष अनिल जी सांखला , तेयुप मंत्री विजय सेमलाणी ,पुष्पा लोढ़ा ,दोडा़ईचा से भूरमलजी बम्ब आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। साध्वीवृंद ने समवेत स्वरों में ” उत्सव आज मनाएं हम गीत की भावपूर्ण प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ मंगल गीत से हुआ। जिसे साध्वीश्री कुंदनयशाजी ने प्रस्तुत किया। मंच संचालन तेयुप अध्यक्ष दिनेश सूर्या ने कुशलता से किया। यह जानकारी तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा संगीता सूर्या ने दी।
तेरापंथ के विकास पुरुष थे आचार्य श्री तुलसी : साध्वीश्री निर्वाणश्री जी
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