क्रोध व भय है दुर्बलता : आचार्य महाश्रमण
महातपस्वी ने किया आज 20 किमी का प्रलम्ब विहार
14-03-2020, शनिवार, जुनोली , सांगली, महाराष्ट्र। गांव-गांव से लेकर नगर-नगर में अहिंसा यात्रा द्वारा मानवीय चेतना की जागृति करने वाले अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी ने आज प्रातः नागज गांव से मंगल विहार किया। धवल सेना के साथ शांतिदूत गुरुदेव उतार-चढ़ाव भरे मार्ग पर अविरल रूप से गंतव्य की ओर गतिमान थे। पर्वत पर लगी हुई विशाल पवन चक्कियां भी अपनी ओर सभी का ध्यान आकर्षित कर रही थी। लगभग 13 किमी का प्रलम्ब विहार कर पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी जुनोली गांव के विद्यालय में पधारे। आचार्य श्री के स्वागत में स्कूल के बच्चे पंक्तिबद्ध होकर वंदे गुरुवरम के नारे लगा रहे थे। ग्रामवासियों ने भी अहिंसा यात्रा का स्वागत किया।
अपनी पावन वाणी से धर्म सभा को संबोधित करते हुए पूज्य गुरुदेव ने कहा हमारे जीवन में अनेक कमजोरियां हैं जिनमें से दो है गुस्सा व भय। व्यक्ति कई बार बार गुस्से में आ जाता है कभी भय कर लेता है। यह दोनों दुर्बलता की संताने हैं। दुर्बलता है तभी गुस्सा प्रखर होता है। क्रोध मनुष्य का शत्रु है। व्यक्ति प्रतिकूल स्थिति में भी गुस्सा ना करें। गुस्सा आए तब प्रतिक्रिया न करें, गाली गलौज झगड़ा ना करें तो क्रोध असफल हो जाता है। करुणा, अनुकंपा का भाव प्रखर रहे तो गुस्सा भी दूर हो जाता है। हम मैत्री भाव से रहे। मैत्री प्रखर होती है तो गुस्से को बढ़ने का मौका नहीं मिलता। फालतू झगड़े व्यक्ति ना करें और कोई मुद्दा हो तो भी चिंतन करें कि शांति से कैसे काम हो सकता है।
आचार्य प्रवर ने आगे कहा कि भय भी दुर्बलता से संबद्ध है। जो अभय होता है वह कितना सुखी है। निर्भय, निर्भीक व्यक्ति सबसे सुखी होता है। भय करने वाला हिंसा में भी चला जाता है, झूठ भी बोल सकता है। व्यक्ति अभय हो इमानदारी रखें तो कोई भय नहीं। क्रोध व भय दोनों से बचे तो जीवन अच्छा बन सकता है।
पूज्यवर ने लगभग 300 से अधिक विद्यार्थियों को अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा देते हुए अहिंसा यात्रा के सद्भावना, नैतिकता एवं नशामुक्ति के संकल्प स्वीकार करवाएं। गांव के सरपंच संजय कांबले, शिक्षक नितिन भोसले, पूर्व मुंबई एसीपी राजाराम घनमाले ने शांतिदूत के स्वागत में विचार अभिव्यक्ति दी। सायंकाल लगभग 7 किमी का विहार कर पूज्य गुरुदेव हतोदी गांव के श्रीराम विद्यालय में पधारे।