आलोक जोशी।।
जब पूरी दुनिया राहत की सांस ले रही थी कि कोरोना वायरस का कहर थम रहा है, तब उसने फिर सिर उठाया। रक्तबीज के अंदाज में दुनिया के अलग-अलग देशों में एक के बाद एक मामले सामने आने लगे। पहले चीन, दक्षिण कोरिया, हांगकांग, सिंगापुर, जापान जैसे आसपास के देशों से खबरें आईं, फिर ईरान और इटली से लेकर कनाडा और अमेरिका तक पहुंच गया यह खतरनाक वायरस। और पिछले चार-छह दिनों में तो भारत के अलग-अलग शहरों से इसके मामले सामने आने लगे।
हालात का अंदाजा इसी बात से लगाइए कि राजधानी दिल्ली के प्राइमरी स्कूलों में छुट्टी का एलान कर दिया गया है। पूरे मार्च महीने के लिए। स्कूलों में छुट्टी कर देना तो फिर भी आसान है, लेकिन दफ्तरों, फैक्टरियों, अस्पतालों, होटलों, रेस्तरां, मेट्रो, बस स्टेशन, बाजार, इन सबका क्या करेंगे? इसी का असर है कि लोग अब हवाई सफर से कतरा रहे हैं। लुफ्थांसा ने डेढ़ सौ से ज्यादा विमान खड़े यानी ग्राउंड कर दिए हैं। भारत में एअर इंडिया, इंडिगो और स्पाइस जेट चीन और हांगकांग की अपनी उड़ानें रद्द कर चुके हैं। विस्तारा टोक्यो की उड़ान के साथ लंबे रूट पर उड़ान की शुरुआत करने जा रहा था, जो अब शायद ठंडे बस्ते में है।
विदेश यात्रा में गिरावट साफ दिख रही है। भारत से थाईलैंड, मलेशिया जैसे देशों में जाने वाले करीब-करीब आधे लोग अपने टिकट व होटल बुकिंग कैंसिल करवा चुके हैं। इटली में वायरस की खबर आने के साथ ही वहां के भी करीब बीस प्रतिशत टिकट रद्द होने की जानकारी मिली है। खुद भारत सरकार ने यह एडवाइजरी जारी की है कि कितने सारे देशों का सफर इस वक्त सुरक्षित नहीं है। आना-जाना, मिलना ही नहीं, आयात-निर्यात और कारोबार भी लगातार मुश्किल होता जा रहा है। मोबाइल फोन कारोबार का सबसे बड़ा मेला मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस इसी वायरस के डर से रद्द कर दिया गया है। यही हाल गेम डेवलपर कॉन्फ्रेंस का भी हुआ। उधर गूगल ने अपने दो बड़े आयोजन क्लाउड नेक्स्ट इवेंट और डेवलपर्स कॉन्फ्रेंस 2020 रद्द करके अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तक सीमित कर दिए हैं। चीनी मोबाइल कंपनी शाओमी ने भी कह दिया है कि फिलहाल वह कोई भी लॉन्च इवेंट नहीं करेगी।
अनेक टेक्नोलॉजी कंपनियों ने इसी डर से अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम यानी घर से ही काम करने की हिदायत दे दी है। इनमें एचसीएल टेक्नोलॉजीज और टीसीएस शामिल हैं। विप्रो और कॉग्निजेंट ने टूर पर लगाम कस दी है और कॉग्निजेंट ने तो हैदराबाद में अपना दफ्तर ही कुछ समय के लिए बंद कर दिया है। ऐसी ही खबर दुनिया भर में ट्विटर के दफ्तरों से आ रही है। अमेजन और फ्लिपकार्ट ने भी ऐसा किया है। महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा का कहना है कि यह संकट एक तरह से काम करने के पूरे तौर-तरीके को ही बदल सकता है। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा है कि यह संकट तो गुजर जाएगा, मगर लगता है कि यह दुनिया को हमेशा के लिए रिसेट कर सकता है। पहला, इससे घर से काम करने के चलन में तेजी आएगी। दूसरा, ज्यादातर कॉन्फ्रेंस वर्चुअल और डिजिटल होने लगेंगी। तीसरा, अब बैठकें कम और वीडियो कॉल ज्यादा होंगी। और चौथा, हवाई सफर कम होगा, जिससे पर्यावरण भी बेहतर रहेगा।
यह आशावाद फिलहाल माहौल को सुधारने में मदद करेगा, यह कहना मुश्किल है। नमूना देखें, होटलों की मांग में कमी का असर। होटल के धंधे की बड़ी कंपनी ओयो दुनिया भर में पांच हजार लोगों की छुट्टी करने जा रही है। और ये बीमारी अभी कहां-कहां फैलेगी, कहना मुश्किल है। हालांकि मास्क और सैनिटाइजर जैसी चीजें बनाने और बेचने वालों की बल्ले-बल्ले हो गई है। केमिस्ट बता रहे हैं कि लोग हजारों की तादाद में सैनिटाइजर और मास्क खरीद रहे हैं। विटामिन सी और पैरासिटामॉल की मांग में भी तेज उछाल दिख रहा है। इसी चक्कर में इनको बनाने वाली कंपनियों, यानी कुछ गिनी-चुनी फार्मा व केमिकल कंपनियों और मास्क बनाने वाली कंपनियों में निवेश की सलाह भी दी जा रही है। इनके भाव में खूब उछाल भी दिख रहा है, खराब बाजार के बावजूद।
लेकिन बाकी धंधों का हाल बेहाल है। हवाई सफर में जो डर है, वही घर से बाहर निकलने में भी है। तो होटल, रेस्तरां से लेकर सिनेमा हॉल, मॉल और पुराने बाजारों की दुकानों तक में कारोबार ठंडा है या किसी भी दिन होने का डर है। जैसे ही हैदराबाद और गुड़गांव में दो कंपनियों में एक-एक कर्मचारी को कोरोना वायरस होने का शक कन्फर्म हुआ, वैसे ही वहां आशंका बढ़ी। अब स्कूल की तरह यहां छुट्टी करना तो संभव है नहीं, लेकिन रिस्क भी तो नहीं ले सकते।
सबसे बुरी हालत है बड़ी फैक्टरियां चलाने वाली कंपनियों की। वहां काम भी चलता रहे और काम करने वालों को संक्रमण भी न हो, यह बड़ी चुनौती है। चुनौती और बढ़ गई है, क्योंकि चीन से आने वाले पुर्जों का इंपोर्ट ठप हो गया है। यह हाल सिर्फ भारत का नहीं, पूरी दुनिया में है। लोग कहीं आ-जा नहीं रहे हैं, मतलब कुछ खरीद भी नहीं रहे हैं। यानी सिर्फ उत्पादन को ही नहीं, मांग को भी तगड़ा झटका लग रहा है। अभी यह भी साफ नहीं है कि इसका प्रकोप कब तक कम होगा या थम पाएगा। विश्व बैंक का अनुमान है कि अगर यह बीमारी जल्द ही थम जाती है, तब भी यह दुनिया की जीडीपी में कम से कम आधा परसेंट का असर डालेगा। लेकिन अगर यह थमी नहीं, तो यह गिरावट पांच परसेंट तक की हो सकती है, यानी लगभग तीन लाख करोड़ डॉलर का झटका।
अभी तो इस बीमारी के इंश्योरेंस क्लेम भी ठीक से आने शुरू नहीं हुए हैं और वहां भी एक पेच आ गया है। इंश्योरेंस रेगुलेटरी और डेवलपमेंट अथॉरिटी ने बीमा कंपनियों से कहा है कि कोरोना वायरस से जुड़े दावे जल्दी से जल्दी निपटाए। दूसरी तरफ, कई कंपनियों ने विदेश यात्रा के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी देनी फिलहाल बंद कर दी है। खासकर सरकार ने जिन देशों के सफर से बचने को कहा है, कंपनियां वहां जाने के टिकट पर पॉलिसी नहीं दे रही हैं। भारत में इससे कितना नुकसान होगा, इसका साफ हिसाब जोड़ना अभी मुश्किल है। लेकिन इस माहौल में होली कैसे खेली जाएगी, यह सवाल चिंताजनक है। और होली का मूड बिगड़ा, तो अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ना तय है।
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