वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक कोष (आईएमएफ) ने आयात वस्तुओं जैसे तेल और पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ने और उसका असर महंगाई पर होने की चेतावनी देते कहा कि दिसंबर 2017 के मुकाबले इस साल रुपये में करीब 6 से 7 फीसदी की गिरावट आई है।
आईएमएफ के प्रवक्ता गेर्री राइस ने बताया कि इस साल की शुरुआत से भारतीय रुपये में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 11 फीसदी अपने सामान्य टर्म में अपनी वैल्यू को खो चुका है।
वे पिछले कुछ महीने के दौरान रुपये में आई गिरावट को लेकर पूछे गए सवालों पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि भारत के और भी कई व्यापारिक साझीदारी देश, जिनमें उभरते हुए बाजार वाले देश भी शामिल हैं, उनकी मुद्रा में भी डॉलर के मुकाबले गिरावट आई है।
राइस ने बताया- “इसका नतीजा ये रहा कि दिसंबर 2017 के मुकाबले इस साल मुद्रा में करीब 6 से 7 फीसदी की गिरावट आई है।” उन्होंने बताया कि भारत तुलानात्मक तौर पर बंद अर्थव्यवस्था है। उम्मीद के अनुरूप अप्रैल से जून क्वार्टर के बीच कुल निर्यात फिर से उम्मीद से बेहतर रहा और रुपये में गिरावट इस ट्रेंड को और मजबूत कर सकता है।
उन्होंने बताया- “दूसरी तरफ रुपये के मूल्य में आई गिरावट से आयतित वस्तुओं जैसे तेल, पेट्रोलियम पदार्थों की कमतें बढ़ेंगी और इसका सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा।”