एलर्जी की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। कई बार बच्चों में उम्र के साथ एलर्जी का असर कम हो जाता है तो कई बार बड़े होने पर ही एलर्जी के लक्षण सामने आते हैं। एलर्जी की पहचान शुरुआत में ही कर लेना, कई समस्याओं से बचा सकता है। एलर्जी या दूसरे शब्दों में कहें तो बाहरी तत्वों के प्रति शरीर की अतिसंवेदनशीलता एक आम समस्या है। पर ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है, जिन्हें यही नहीं पता होता कि उनकी परेशानी का कारण दरअसल एलर्जी है। हमारा शरीर किसी खास पदार्थ के प्रति जब अति संवेदनशीलता या कोई तीव्र प्रतिक्रिया दिखाता है तो उसे हम एलर्जी कहते हैं। एलर्जी इस बात का सीधा संकेत है कि शरीर की प्रतिरक्षा-प्रणाली कमजोर पड़ गई है। ऐसे में कुछ परिस्थितियों में हमारा शरीर कुछ खास चीजों को स्वीकार करने से मना कर देता है।
एलर्जी का असर आमतौर पर त्वचा पर दिखाई देता है, पर यह आंतों, मुंह, नाक, फेफड़ों आदि पर भी असर डाल सकती है। शरीर की प्रकृति जैसी हो, उस हिसाब से एलर्जी के अलग-अलग कारण हो सकते हैं। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार 20 से 30 फीसदी भारतीय किसी-न-किसी तरह की एलर्जी से पीड़ित पाए जाते हैं। एक अन्य शोध के अनुसार देश में एलर्जीके कुल मामलों में 34% को झींगे से, 31% को गेहूं से, 28% को दूध से, 20% को बादाम से, 25% को सोयाबीन से, 18%को अंडे से,17% को नारियल से, 10% को चिकन से और 9% लोगों को मछली से एलर्जी देखने को मिलती है। मूंगफली, नारियल, चॉकलेट और काजू एलर्जी के अन्य खास कारक हैं। .
लक्षण:’ नाक बहना ‘ छींकें आना ‘ आंखों से पानी आना या खुजली होना ‘ त्वचा का लाल होना और चकत्ते पड़ना ‘ शरीर में खुजली होना ‘ चेहरे, आंखों, होंठ और जीभ पर सूजन होना ‘ उल्टी होना, बुखार होना ‘ थकान और बीमार महसूस करना ‘सांस फूलना ‘ पेट की समस्या पैदा होना ‘कुछ विशेष परिस्थितियों में एनाफिलेक्सिस जैसी गंभीर एलर्जिक प्रतिक्रिया भी पैदा हो सकती है, जो प्राणघातक साबित हो सकती है। इसमें दिए गए लक्षणों के अलावा सांस लेने में परेशानी, चक्कर, गले और मुंह में सूजन, त्वचा या होंठ का नीला पड़ना और बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
नाक की एलर्जी : नाक की एलर्जी को एलर्जिक राइनाइटिस भी कहा जाता है। यह आमतौर पर मौसम बदलते समय पराग कणों के कारण होती है। इसके चलते श्वसन नली में सूजन आ जाती है। छींकें, नाक में खुजली, नाक बहना जैसे लक्षण पैदा होते हैं।
खाद्य पदार्थों की एलर्जी : कई बार कुछ खास खाद्य पदार्थों के प्रति शरीर अति संवेदनशील हो जाता है। ऐसे में इन पदार्थों को खाते ही शरीर प्रतिक्रिया देने लगता है। दूध, मछली, अंडे, गेहूं, मूंगफली से एलर्जी के मामले ज्यादा सामने आते हैं।
ड्रग एलर्जी : कुछ दवाओं से भी शरीर पर चकत्ते या दाने हो जाते हैं।
एटॉपिक डर्मेटाइटिस : यह एलर्जी रासायनिक प्रदूषण, पर्यावरण प्रदूषण और कॉस्मेटिक वगैरह के इस्तेमाल के कारण होती है। इसमें त्वचा में सूजन आ जाती है।.
एलर्जिक अस्थमा : एलर्जी वाले पदार्थों के संपर्क में आने से जब सांस की नलियों में सूजन व सिकुड़न पैदा हो जाती है तो सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। धूल, वायु प्रदूषण, धुआं आदि इसके मुख्य कारण हैं।
मौसमी एलर्जी : मौसमी बदलाव से होने वाली एलर्जी में आंखों में पानी आना, खुजली, जलन व छींक जैसे लक्षण होते हैं।
फंगल एलर्जी : कई बार फंगल इन्फेक्शन यानी फफूंदी के बीजाणुओं के कारण तीव्र एलर्जिक प्रतिक्रिया होती है।
कैसे करें बचाव-धूल से एलर्जी हो तो घर में कालीन न बिछाएं। पर्दे, बिस्तर, तकिए साफ रखें। जानवरों के संपर्क में आने से बचें। फफूंद से होने वाली एलर्जी से बचने के लिए घर को साफ-सुथरा रखें। घर के अंदर कपड़ा न सुखाएं। पराग कणों से एलर्जी है तो पार्क,खेतों आदि में नाक पर कपड़ा रखकर जाएं। जिन खाद्य पदार्थों से एलर्जी हो, उन्हें खाने से बचें। बाजार की जगह घर का खाना खाएं। दूषित पानी से भी एलर्जी पैदा हो सकती है। पानी में मिले केमिकल शरीर में झुर्रियों का कारण बन सकते हैं। अगर एलर्जी को ज्यादा दिन हो गए हैं, नाक-कान में संक्रमण हो, तेज सिर दर्द हो या खुद से कोई दवा ले रहे हैं, तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं। थाइरॉइड, मधुमेह, मोतियाबिंद, बीपी जैसी समस्या में एलर्जी भी होने पर डॉक्टर से मिलें।
आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों की मदद से कई तरह की एलर्जी का स्थायी इलाज संभव है। एंटी हिस्टैमिन्स, एंटील्यूकोट्राइंस, नेजल कोस्टेराइड स्प्रे जैसी दवाएं नेजल कैविटी और श्वसन नलिका की सूजन और जलन को कम करने के लिए अब ज्यादा सुरक्षित मानी जाती हैं। ओरल इम्यूनो थेरेपी वैक्सिनेशन का इस्तेमाल एलर्जीके लंबे समय तक चलने वाले इलाज में किया जाता है। एलर्जन इम्यूनोथेरेपी पद्धति में जिन चीजों से एलर्जी होती है, उन्हीं चीजों को कम मात्रा में मरीज को लंबे समय तक दिया जाता है। इससे शरीर धीरे-धीरे रोगप्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है और नॉन-एलर्जिक हो जाता है। जिनमें दवाएं और वैक्सीन परिणाम नहीं देते, उनके लिए एलर्जी शॉट को एक अवधि में क्रमवार दिया जाता है। बहरहाल, खाने-पीने से होने वाली एलर्जी में उन खाद्य पदार्थों से परहेज करना जरूरी होता है, अन्यथा इलाज में कठिनाई आती है। होम्योपैथी से संपूर्ण उपचार-होम्योपैथी में एलर्जी का कारगर इलाज मौजूद है। लक्षणों के सही मिलान के बाद सल्फर, एकोनाइट, कार्बोवेज, नेट्रम म्यूर, आर्सेनिक अल्बम, ब्रायोनिया, नक्स वोमिका, चायना, ऑरम ट्राइफाइलम, ग्रेफाइटिस, यूफ्रेशिया आदि दवाएं दी जाती हैं। चिकित्सक की सलाह से दवा का सेवन करना चाहिए। योग और प्राणायाम.-‘अनुलोम-विलोम, भ्त्रिरका व कपालभाति प्राणायाम नियमित रूप से करें। योग विशेषज्ञ से सलाह लेकर कुंजल और नेति क्रिया का अभ्यास भी कफ दोष को दूर कर स्थायी रूप से राहत देता है। पंचकर्म में से नस्य का प्रयोग भी कारगर है।.
एंटीबैक्टीरियल साबुन का इस्तेमाल करें। खारिश बहुत रहती है तो नारियल तेल में कपूर मिलाकर त्वचा पर लगाएं। गाजर, चुकंदर और खीरे का जूस पीने से एलर्जी में राहत मिलती है।नीम के पत्तों को रात में पानी में भिगो दें व सुबह पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाएं। पानी खूब पिएं। सुबह गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से विटामिन-सी मिलता है, जो पुरानी एलर्जी को धीरे-धीरे स्थायी रूप से दूर करता है। आयुर्वेदिक दवा हरिद्रा खंड के सेवन से त्वचा की एलर्जी में फायदा मिलता है। एक ग्राम गिलोय पाउडर और एक ग्राम सितोपलादि चूर्ण को शहद के साथ सवेरे-शाम खाली पेट खाने से श्वसन तंत्र की एलर्जी में राहत मिलती है। नाक की एलर्जी बार-बार होती है तो सवेरे खाली पेट दो चम्मच आंवले का रस, एक चम्मच गिलोय का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर हर रोज लें। फलों के जूस अथवा पानी में पांच-छह बूंद अरंडी का तेल मिलाकर पिएं। रात में जल्दी भोजन करें। अधिक तला-भुना व मसालेदार भोजन खाने से बचें। त्वचा से जुड़ी एलर्जी में त्रिकटु, तुलसी, लौंग, कपूर व धनिए को बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। दिन में दो बार आधा चम्मच गुनगुने पानी के साथ लें।
विशेषज्ञ: -डॉ. सच्चिदानंद, प्राकृतिक चिकित्सक, गांधी स्मारक निधि, राजघाट, दिल्ली.
डॉ. ए. के. अरुण, होम्योपैथ, पश्चिम विहार, नई दिल्ली। डॉ. सुरेश यादव, एलोपैथ, आरोग्य निकेतन, अंबेडकर नगर, उत्तर प्रदेश