मुंबई:कई बार स्ट्रीट लाइट बंद होने के बाद कई दिनों तक ठीक नहीं होती है। शिकायत करने के बावजूद मरम्मत में देरी हो जाती है। बेस्ट के बिजली विभाग के कर्मचारी यदि बंद स्ट्रीट लाइट को नोटिस कर लें या कोई उपभोक्ता शिकायत करें, तभी गड़बड़ी का पता चलता है। अब बेस्ट कुछ ऐसी व्यवस्था ला रही है, जिसमें स्ट्रीट लाइट में तकनीकी खराबी होते ही ऑटोमैटिक संबंधित विभाग को पता चल जाएगा। विभाग द्वारा गड़बड़ी वाली लाइटों की रिपोर्ट मरम्मत करने वाले विभाग को मिल जाएंगी और अपेक्षाकृत कम इंतजार में स्ट्रीट लाइट ठीक कर दी जाएगी।
हजार लाइट पर एक मॉनिटर
शहरभर में बेस्ट द्वारा 41,440 स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं। इतनी लाइटों को मॉनिटर करने के लिए 462 लाइटिंग पिलर हैं। एक लाइटिंग पिलर से लगभग एक हजार लाइटों का सर्किट तैयार होता है। इन 462 लाइटिंग पिलर पर मॉनिटर युनिट लगाए जाएंगे। ऑटोमैटिक ट्रैकिंग वाली इन युनिट में जीपीएस और जीपीआरएस दोनों तकनीक होंगी।
4.8 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट
ऑटोमैटेड स्ट्रीट लाइट मैनेजमेंट सिस्टम(ASMS) यह इस सिस्टम का नाम है, जिसके लिए 4.8 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। अभी बंद स्ट्रीट लाइटों को ढूंढने के लिए लगभग 70 स्टाफ लगते हैं। ASMS के बाद इस स्टाफ का उपयोग अन्य काम के लिए हो सकेगा। दिन में चालू रहने वाली लाइटों से हो रहे बिजली के दुरुपयोग को भी रोकना संभव होगा।
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