नई दिल्ली:दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने राजधानी दिल्ली के सभी दस ऐतिहासिक गुरुद्वारों में लंगर बनाने के लिए बायोगैस प्लांट स्थापित करने का फैसला किया है ताकि लंगर की रसोई में बची सब्जियों, फलों और बचे खाने का अधिकतम सदुपयोग करके इसे क्लीन एनर्जी के रूप में प्रयोग किया जा सके। बताया जा रहा है कि इस कदम का उद्देश्य गुरुद्वारा परिसरों को पूरी तरह कूड़ा-कचरा, जूठन मुक्त रखना और नालियों के जाम होने की समस्या से पूरी तरह छुटकारा पाना भी है।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष मंजीत सिंह ने बताया की स्वच्छ भारत अभियान के तहत कार्बन फुट प्रिंट को कम करने और पर्यावरण को सुधारने के लिए गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब और गुरुद्वारा बंगला साहिब में बायोगैस प्लांट स्थापित किए जाएंगे, जहां प्रत्येक गुरुद्वारे में रोजाना लगभग 30,000 लोग लंगर खाते हैं। इन दो गुरुद्वारों में सबसे ज्यादा बायोडिग्रेडेबल (विघटन होने योग्य कचरा) कूड़ा-कचरा इकट्ठा होता है।
एक मल्टी-नैशनल कंपनी सामाजिक दायित्व के तहत इस परियोजना को आर्थिक मदद प्रदान करने के लिए सहमत है। सिंह ने बताया कि हर गुरुद्वारे में रोजाना फल-सब्जियों और बचे खाने के रूप में औसतन तीन क्विंटल कचरा होता है जबकि प्रत्येक बायोगैस प्लांट औसतन चार क्विंटल कचरे को परिष्कृत कर सकता है।
दिल्ली के गुरुद्वारों में अब बायोगैस से बनेगा लंगर
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